कराह रहे देवभाषा के पुजारी,अनुदान जारी होने के बाद भी नहीं हो रहा भुगतान

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जनपद के नौ संस्कृत विद्यालय है वेतन से वंचित

हल्दी(बलिया)। सरकार के ढुलमुल रवैया के कारण देवभाषा के पुजारी कराह रहे हैं. आलम यह है कि पिछली सरकार द्वारा अनुदान सूची जारी करने के साथ 11 अगस्त 2015 में अनुदान राशि भी जारी हो गया. बावजूद बलिया जनपद के नौ संस्कृत विद्यालय अनुमन्यता व वेतन से वंचित रह गए है. जिसके कारण इन विद्यालयों में बर्षों से कार्यरत दर्जनों गुरुजन मुफलिसी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं. सभी भाषाओं की जननी के खेवनहारों को योगी सरकार से बहुत आशायें थी, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद गुरुजनों को सिर्फ निराशा हाथ लगी.
सपा सरकार ने सात फरवरी 2014 में विज्ञापन जारी कर सन 2000 तक स्थाई मान्यता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों को अनुदान सूची में लेने की बात कही थी. जिसके लिए बकायदा जेडी की अध्यक्षता में मंडल स्तरीय व शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी का संस्तुति रिपोर्ट भी मांगा गया था. जिसके लिए प्रदेश के 333 संस्कृत विद्यालयों ने आवेदन किया. लगभग 12 शर्तों की बाधा के मद्देनज़र 109 संस्कृत विद्यालयों को मंडल व राज्य स्तरीय कमेटी ने अनुदान सूची के लिए योग्य मानते हुये संस्तुति करके शासन को भेज दिया. जबकि 71 विद्यालयों को प्रतिबंध सहित संस्तुति किया. वहीं 146 को खारिज कर दिया गया. शासन द्वारा 11 अगस्त 2015 को 77 विद्यालयों की सूची जारी कर दी गई. जबकि दो माह बाद 29 विद्यालयों की भी सूची जारी की गई.अनुदान की राशि भी जारी कर दिया. प्रदेश के कुल 106 विद्यालयों में बलिया के 12 विद्यालय शामिल हैं. लेकिन करीब ढाई साल बाद भी बलिया के नौ विद्यालयों का अनुमन्यता नहीं हो सका. जिसके कारण इन विद्यालयों में सेवा दे रहे दर्जनों शिक्षक आज भी वेतन से वंचित हैं.
खास बात यह है कि सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली सरकार से भी देवभाषा के पुजारियों का भरोसा उठता जा रहा है. क्योंकि इस सरकार का भी लगभग एक साल का कार्यकाल पूरा हो गया, लेकिन संस्कृत शिक्षकों की सुधि नहीं ली गई.