शगुफ्ता बोली, मोबाइल पर तलाक मंजूर नहीं, आखिरी सांस तक लड़ूंगी

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बलिया। जिले में मोबाइल पर तीन तलाक का मामला सामने आया है. तलाक देने वाला कोई अदना आदमी नहीँ, बल्कि भारतीय वायु सेना का जवान है. जो डेढ़ साल तक वैवाहिक जीवन बिताने के बाद मोबाइल पर अपनी पत्नी शगुफ्ता को तीन तलाक बोल कर कॉल काट दिया.

शगुफ्ता बताती है कि 1 अगस्त 2017 को मैंने फोन पर जब जावेद से बात की तो वह अपने परिवार के लोगों की मर्जी से किसी निशा नाम की धनवान लड़की से शादी कर लेने की बात कहते हुए बताया कि उसके फेसबुक पर फोटो अपडेट है, जिससे मैंने शादी कर ली है. (बलिया लाइव इस फेसबुक प्रोफाइल की पुष्टि नहीं करता)

मामला बैरिया थाना क्षेत्र के बैरिया फाटक मुहल्ले का है. शगुफ्ता के पिता मुहम्मद मुस्ताक ऊर्फ छोटे बताते हैं कि वे अपनी बेटी शगुफ्ता की शादी 12 अप्रैल 2016 को अपने धार्मिक मुस्लिम रीति रिवाज से दुबहड़ थाना क्षेत्र के घोड़हरा निवासी जावेद इकबाल पुत्र इकबाल अहमद के साथ किया. जावेद एयर फोर्स के बागडोरा में 488 एमओएफ मे इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड में नियुक्त है. अब इस समय उनकी बेटी उनके घर पर है.

शादी की पहली साल गिरह भी अपने गांव घोड़हरा आकर जावेद ने बड़ी राजी खुशी से मनाया

मुहम्मद मुस्ताक ऊर्फ छोटे के मुताबिक एक साल तक तो बेटी के ससुराल मे सब ठीक था. जावेद छुट्टी पर गांव आता रहता था. शादी की पहली साल गिरह भी अपने गांव घोड़हरा आकर जावेद ने बड़ी राजी खुशी से मनाया, लेकिन छुट्टी बिता कर जब वह नौकरी पर गया तो उसके परिवार के लोगों का सुर बदल गया. ससुराल वाले शगुफ्ता का उत्पीड़न करने लगे. उस पर एक स्विफ्ट डिजायर कार व दस लाख रुपये अपने मायके से मांगने का दबाव बनाने लगे. उसके साथ मारपीट भी की जाने लगी.

शगुफ्ता बताती हैं कि पति के नौकरी वाले जगह वागडोगरा गई, वहां अधिकारियों से मिली तो वह लोग हमे डिपेंडेंट कार्ड बनाकर दिए. वहां से मैं निराश वापस आकर अपने पिता के घर पर हूँ.

शगुफ्ता बताती है कि 1 अगस्त 2017 को मैंने फोन पर जब जावेद से बात की तो वह अपने परिवार के लोगों की मर्जी से किसी निशा नाम की धनवान लड़की से शादी कर लेने की बात कहते हुए बताया कि उसके फेसबुक पर फोटो अपडेट है, जिससे मैंने शादी कर ली है. चाहो तो देख लो. उसके बाद तीन बार तलाक बोल कर फोन काट दिए. उसके अगली ही रात घोड़हरा में मेरे ससुराल के लोग रात में हमे मारने लगे. गला दबा रहे थे. जैसे तैसे अपने को छुड़ा कर मैं उसी गांव मे अपने रिश्ते के मामा मुख्तार के घर जान बचा कर पहुंची. वहीं से रात मे ही हमारे पिता पहुंच कर हमे बैरिया अपने घर ले आए. तब से मैं अपने पिता के घर पर हूँ. पिता के साथ दुबहड़ थाने पर गई तो वहां हमारी बात नहीं सुनी गई. हमे कोर्ट में जाने को कहा गया. मैं अपने पति के नौकरी वाले जगह वागडोगरा गई, वहां अधिकारियों से मिली तो वह लोग हमे डिपेंडेंट कार्ड बनाकर दिए. वहां से मैं निराश वापस आकर अपने पिता के घर पर हूँ.

शगुफ्ता का कहना है कि मैं अपने पति के साथ ही रहना चाहती हूँ. उनके नौकरी मे रहने के दौरान उनके माता पिता, भाई बहन की एक बहू के रूप में की जाने वाली सेवाओं में कहीं पीछे नहीं रही. उनसे पूछा जा सकता है. एक साल तक खूब आदर सम्मान से रखने वाले हमारे ससुराल वाले अचानक कैसे बदल गए. मेरे साथ मारपीट व दहेज की मांग करने लगे, समझ में नही आ रहा है.

शगुफ्ता के मुताबिक उन्हें उनके पति जावेद ने पांच सौ रुपये का चेक व तलाक की नोटिस भेजी है. यह सब हमे मंजूर नहीं है. न्यायालय का दरवाजा खटखटाई हूँ.

शगुफ्ता का कहना है कि मोबाइल पर तलाक भी कहीं होता है? मुझे जावेद ने पांच सौ रुपये का चेक व तलाक की नोटिस भेजी है. यह सब हमे मंजूर नहीं है. न्यायालय का दरवाजा खटखटाई हूँ. इस उम्मीद के साथ कि मैं जावेद के साथ रहूँ. इसके लिए हमे जहां जाना होगा, गुहार लगाना होगा, जावेद के विभाग में, न्यायालय में या फिर अपने धर्म के जानकार लोगों के पास या मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, सेनाध्यक्ष किसी भी दरवाजे जाकर न्याय की गुहार लगाऊगी. मैं जावेद के साथ ही रहूँगी. हमे तलाक मंजूर नहीं.