पहले ही नहीं चेते तो आषाढ़ में बदल जाएगा बैरिया विधानसभा क्षेत्र का भूगोल

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बैरिया-संसार टोला तटबंध को 500 मी तक रगड़ते गुजर रही घाघरा की रपटीली लहरें

चांददियर मौजा की रफ्ता रफ्ता रोज कट रही कृषि भूमि

बैरिया(बलिया)। अगर समय रहते काम शुरू नहीं हुआ तो आगामी आषाढ़ महीने में बैरिया विधानसभा क्षेत्र का भूगोल बदल सकता है. घाघरा नदी अपनी दिशा बदल चुकी है, और मौजूदा समय में घाघरा की रपटीली लहरें बकुल्हां-संसार टोला तटबंध(चांददियर-जयप्रकाश नगर मार्ग) पर के सठिया ढ़ाला से सीधे टकराती बंधे के समानांतर सटकर लगभग सौ मीटर तक गुजरती हुई आगे, फिर पूर्व उत्तर दिशा की ओर मुड़ रही है. यह दृश्य पिछले बाढ़ व कटान के मौसम यानी 6 माह पहले से लगातार बना हुआ है. जबकि इस गैर बाढ़ कटान के समय में भी घाघरा की लहरें चांददियर मौजा के कृषि भूमि को रफ्ता रफ्ता काट रही है.


ऐसे समय में एक तरफ जहां चांददियर क्षेत्र की कृषि भूमि थोड़ा-थोड़ा करके रोज घाघरा में समाती जा रही है, वहीं सठिया ढाला के आसपास भविष्य के लिए बड़ा खतरा मंडरा रहा है. उस इलाके के लोग ऐसी आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि अगर समय रहते बंधा के बचाव का कोई व्यवस्थित कार्य योजना शुरू नहीं हुई, तो आषाढ़ माह में यह बंधा बचा पाना आसान नहीं होगा.
मौके पर उपस्थित एक प्राइवेट विद्यालय के शिक्षक रामजस यादव का कहना था कि यहां सबसे गड़बड़ी होता है कि जब बाढ़ कटान अपने चरम पर पहुंचता है, तब बचाव कार्य शुरू होता है. तब कागज पर अधिक और धरातल पर कम खर्च किया जाता है. धन की लूट खसोट होती है.

वहीं राधाकृष्ण सिंह का कहना था कि बाढ़ राहत कार्य ऐन कटान शुरू हो जाने पर शुरू किया जाता है. उस समय बड़े ठेकेदारों और अधिकारियों के आगे पीछे सत्ताधारी दल के लोग पेटी कांटेक्टर बनकर खड़े हो जाते हैं. लूट में हिस्सेदार बनते हैं.

यह पूछे जाने पर कि फिलहाल मौजूदा हालात कैसे हैं ? और आगे की स्थिति क्या हो सकती है ? के जवाब में ग्रामीणों ने बताया कि अगर आषाढ़ माह से पहले यानी जून माह के दूसरे सप्ताह तक माकूल व्यवस्था कर बंधा को सुरक्षित नहीं किया गया तो बंधा टूटना तय है. अभी से बाढ़ व कटानरोधी कार्य शुरू हो जाना चाहिए. अगर देर हुआ और बंधा टूटा तो क्या होगा के बारे में बताए कि हजारो हेक्टेयर खेत बर्बाद होगा. चूंकि लोकनायक के गांव जाने का रास्ता यही है. ऐसे में वह गांव भी सड़क मार्ग से कट जाएगा, साथ ही बंधे के दूसरे किनारे पर और दूर तक बसी नई बस्ती टोला फखरू राय, टोला रिसाल राय, नरहरि धाम, टोला शिवन राय, लक्ष्मण छपरा सहित लगभग साठ हजार की आबादी व दर्जनों गांव, बस्तियां प्रभावित होंगी.


यद्यपि कि बाढ़ व कटानरोधी कार्य के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है. योजना व धन की स्वीकृति भी मिल गई है. लेकिन धन नहीं आया है. लोगों के चिन्ता का विषय यह है कि अगर पहले की तरह ऐन बाढ़ आने और कटान शुरू हो जाने के बाद काम शुरू होगा तो कुछ भी बचा पाना मुश्किल होगा. जून माह के पूर्वार्ध तक अगर काम पूरा हो जाय तभी इलाका सुरक्षित रखने की बात सोची जा सकती है. अन्यथा की स्थिति में कार्य में विलम्ब और लूट खसोट की परम्परागत भावना रही और घाघरा ने अपना रुख थोड़ा भी उग्र किया तो बैरिया विधान सभा क्षेत्र का भूगोल बदलना तय है.