मौसम का मिजाज : अभी जारी रहेगा कुहरा का प्रकोप – डा. गणेश पाठक

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

बलिया। अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के प्राचार्य एवं पर्यावरणविद् डा.गणेश कुमार पाठक ने बताया कि कुहरा का प्रकोप अभी कुछ दिनों तक जारी रह सकता है, कारण कुहरा समाप्त हो जाय, इसके लक्षण अभी दिखाई नहीं दे रहे हैं. कुहरा छंटने के लिए वायु प्रवाह आवश्यक है. किन्तु अभी तक शीतकाल में प्रवाहित होने वाली पश्चिमी वायु प्रवाहित नहीं हो रही है.यद्यपि कि पश्चिमी वायु प्रवाह से कुहरा तो छंट सकता है. किन्तु ठंढ बढ़ सकती है.

अब प्रश्न यह उठता है कि कुहरा बनता कैसे है? जब धरातल के निकट नमी से युक्त वायु की परतों में जब शीतलन के कारण संघनन की प्रक्रिया होने लगती है, तो वायु में जल के अति सूक्ष्म कण बन जाते हैं. वायुमंडल में इन्हीं जल कणों की उपस्थिति के फलस्वरूप जब उनकी पारदर्शिता एक किलोमीटर से कम हो जाती है तो उसे “कुहरा” कहा जाता है.
कुहरा कभी घना रहता है, तो कभी पतला रहता है. कुहरे की सघनता वायुमंडलीय आर्द्रता, वायु वेग एवं जलग्रहण करने वाली नाभिकों की मात्रा पर निर्भर करती है. धरातल के निकट की अति नम वायु में रात के शीतलन के कारण जब संघनन की क्रिया शुरू होती है तो कुहरे की उत्पत्ति होती है.

किन्तु कुहरे की उत्पत्ति हेतु हवा का तापमान ओसांक से नीचे होना आवश्यक होता है. इस तरह सामान्यत: वायुमंडल के पूर्णत: संतृप्त हो जाने पर ही कुहरे की उत्तपत्ति होती है. जब वायुमंडल में प्रदूषण की मात्रा अधिक हो जाती है, आर्द्रता जैसे ही 70 प्रतिशत से अधिक हो जाती है तो संघनन की क्रिया शुरू हो जाती है. जिससे कुहरा या धुन्ध का निर्माण हो जाता है.

कुहरे की उत्पत्ति धरातल से बहुत कम ऊंचाई पर होती है. कुहरे के समय धरातल के पास वायुमंडल बारीक एवं घने जल कणों से आच्छादित हो जाता है, जिससे निकटवर्ती वस्तुओं की भी दृश्यता समाप्त हो जाती है अर्थात निकट की वस्तुएं भी दिखाई नहीं देती हैं.

जब तक 2 किमी तक स्थित वस्तुएं दिखाई देती हैं तो कुहरा हल्का होता है, जिसे “कुहासा” कहा जाता है. कुहरे की दृश्यता का मापन निम्नप्रकार से किया जाता है

1.हल्का कुहरा(दृश्यता 1100 मीटर तक)
2.साधारण कुहरा (दृश्यता1100- 500 मीटर तक)
3.सघन कुहरा (दृश्यता 550- 300 मीटर तक)
4.अति सघन कुहरा (दृश्यता 300 मीटर से कम)
जब कुहरे का संबंध कारखानों से निकले गंधक से हो जाता है तो वह विषैला होकर प्राणघातक हो जाता है. जिसे धूम कुहरा कहा जाता है. पश्चिमी औद्योगिक देशों में ऐसी कई घटनाएं घट चुकी हैं, जिसमें सैकड़ों जाने जा चुकी हैं.
कुहरे से दृश्यता प्रभावित हो जाने से आवागमन विशेष रूप से प्रभावित होता है. दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं एवं फसलों को विशेष नुकसान पहुंचता है.
मौसम आकलन के अनुसार अभी बलिया सहित पूरा पूर्वांचल एवं उत्तरी भारत में कुछ दिनों तक घना कुहरा छाए रहेगा, जिससे ठंढ भी बरकरार रहने की संभावना है.