हमारा शरीर परिवार और परिवार उद्यान के समान: पं. संदीप 

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

सिकंदरपुर (बलिया)। आजादी के बाद पश्चात संस्कृति का अंधानुकरण ने भारतीय तहजीब व जीवन शैली को जितना नुकसान पहुंचाया है, उतना देश के गुलामी के दौर में भी नहीं पहुंचा. पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित सिनेमा, साहित्य व मल्टीमीडिया ने देव संस्कृति को रोकने का काम किया है. यह कहना है शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे टोली नायक पंडित संदीप कुमार पांडेय का. वह बस स्टेशन चौराहा के समीप चल रहे गायत्री महायज्ञ के तहत श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन कर रहे थे.

कहा कि शरीर भी एक परिवार के समान है और उसके अंग सदस्य हैं. उन सब का पालन पोषण करना पड़ता है. कहा कि परिवार एक उद्यान के समान है. परिवार को संगठित रखने के लिए शालीनता, सहकारिता, श्रमशीलता, स्वच्छता एवं मित्र नैतिकता जैसे पंचशील का पालन जरूरी है. परिवार को योग्य माली द्वारा ही रोपा, कांटा, छांटा और बढ़ाया जाता है. आत्मीयता का विस्तार परिवार से ही संभव है. भारतीय संस्कृति के निर्माता यज्ञ पिता गायत्री माता साथ ही यज्ञ की महिमा व विज्ञान सम्मत प्रभाव पर प्रकाश डाला. कहा कि भारत में ऋषि मुनियों की मानवता के लिए अनुपम देन साधु यज्ञ विज्ञान इतना विकसित उपयोगी रहा है कि आज स्वास्थ्य लाभ के क्षेत्र में यज्ञ यज्ञोपैथी नाम की विद्या अत्यंत उपयोगी बनती जा रही है. इस अवसर पर रामाश्रय यादव, सुभाष चंद्र सिंह, विजेंद्र कुमार, भगवान दास, डॉक्टर लक्ष्मीशंकर, डॉ मुसाफिर चौहान, डॉ अशोक कुमार गुप्ता, अखिलेश राय, धर्मेंद्र प्रताप आदि प्रमुख लोग मौजूद थे.

पुस्तक मेला में उमड़ रही भीड़

बस स्टेशन चौराहा स्थित नर्सिंग होम के प्रांगण में गायत्री परिवार द्वारा आयोजित पुस्तक मेला इलाकाई लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. सजाई गई प्रदर्शनी के अवलोकन एवं पुस्तकों की खरीदारी हेतु लोगों का सुबह से शाम तक जमावड़ा लगा रहा है. इनमें क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक और छात्र छात्राएं भी शामिल हैं. वह भी प्रणाम धर्म संस्कृति के साथ ही छात्र उपयोगी एवं परिवार व समाज निर्माण से संबंधित समाज सुधार शांति और सद्भाव हेतु उपयोगी पुस्तकें स्थल पर सजाई गई है. मेला के इंचार्ज डॉक्टर अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि पिछले दिनों में करीब दो लाख रुपया मूल्य की पुस्तकों की बिक्री हो चुकी है. जिस से लगातार बढ़ते जाने की संभावना है बताया कि मेला 12 दिसंबर तक चलेगा.