भोजपुरी गीतों में अश्लीलता से बचना आज की जरूरत

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​सिकंदरपुर (बलिया)। भोजपुरी हमारी माटी की भाषा है. आजकल फूहड़ गानों का चलन सा हो गया है, लेकिन साफ सुथरा गाने के साथ मिर्च मसाला डालकर गाने को आकर्षक तो बनाया जा सकता है. लेकिन फूहड़पन परोसना आजकल के समाज के लिए कहीं से भी अच्छा नहीं  है. बल्कि गाने में स्पष्टवादिता होना चाहिए. भोजपुरी गाने में फूहड़पन का कोई स्थान नहीं होना चाहिए. यह उद्गार है क्षेत्र के लीलकर गांव निवासी गायक सुजीत राय पिंकू का, वह पत्र प्रतिनिधियों से बात करते हुए बताये कि गाने का शौक मुझे बचपन से ही रहा है. विशेष करके अपनी माटी के खुशबू के गानों के साथ मेरा खासा लगाव रहा है. पेशे से लखनऊ के  एचसीएल कम्पनी में इंजीनियर सुजीत राय पिंकू अब तक लगभग एक दर्जन एलबम में गा चुके हैं. जिनमें उनके प्रसिद्ध एलबम माई के पंडाल सजा के, मेरे शिव है शिवाय तथा भूमिहारवा के गांव में हैं. बताया कि उनके गाने को भोजपुरी वर्ग के लोगों द्वारा पसंद किया जाता है. जो भोजपुरी की पहचान को अपने दिलो दिमाग में बसा कर रखे हैं. आने वाले एलबम लचकत जाला बोहंगिया बहुत जल्दी ही छठ से पहले आने वाला है. इस दौरान उनके साथ उनके मैनेजर अजीत कुमार राय, कुशवाहा मनोज कुमार, अश्विन मिश्रा, पवन सागर, राकेश रवि, डॉक्टर संदीप राय आदि थे.