झुक जइहौ तनिक रघुवीर, लली मेरी छोटी सी….

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नगरा (बलिया)। जनता इंटर कालेज नगरा के मैदान में आयोजित 10 दिवसीय रामलीला के छठवें दिन बुधवार को रात्रि में रसाचार्य श्री दुर्गा प्रेम पुजारी जी के सानिध्य में श्री सर्वेश्वर आदर्श रामलीला संस्थान वृंदावन से आए कलाकारों ने विश्वामित्र का दोनों भाइयों के साथ जनकपुर पहुंचने, दोनों भाइयों का नगर भ्रमण,सीता स्वयम्बर में जनक द्वारा स्वागत, रावण बाणासुर संवाद,राम द्वारा धनुष भंग का सजीव मंचन कर मौजूद दर्शकों का मन मोह लिया.

इससे पूर्व अतिथि आरएन इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ विद्यासागर उपाध्याय एवं डॉ. श्रीकान्त यादव ने प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एवं माता सीता की झांकी की आरती पूजन कर लीला को गति प्रदान किया. लीला के अनुसार अहिल्या उद्धार के बाद प्रभु श्रीराम अनुज लक्ष्मण को मिथिला नगरी घूमने की इच्छा होती है. लखन हृदय लालसा विसेखी, जाई जनकपुर आइय देखी, लखनलाल जी के साथ राम विश्वामित्र से नगर घूमने की आज्ञा लेते है. तब विश्वामित्र ने नगर घूमने की आज्ञा प्रदान करते है.

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जाई देखि आवहु नगर, सुख निधान दोउ भाई. इसके बाद राम लखन को देखने के लिए नगरवासियों की भीड़ उमड़ जाती है. सखिया राम लखन को देखकर आपस मे बात करती हैं कि सखी हो गली गली घुमताटे अवध के किशोर, इनके देखे खातिर मिथिला में मचल बाटे शोर…. इसी बीच जनक नंदिनी सीता गौरी पूजन हेतु जाती है और राम सीता को देखे, सिया राम को, दोनो अखिया लड़ी की लड़ी रह गई….. राम सीता एक दूसरे को देखते रह जाते हैं. गौरीपूजन के बाद आशीर्वाद स्वरूप सीता पति के रूप राम को मांगती है. जनक पुर के मेला, देखेके मोर मनवा करेला, इसके बाद यज्ञशाला मे राजा महाराजा पधारतेे हैं और तेहि अवसर रावण तह आवा….रावण यज्ञशाला मेंआता है और रावण बाणासुर में संवाद होता है. तब जनक जी अपना प्रण राजा महाराजाओं को सुनाते हैं.

राजा महाराजा धनुष उठाने का प्रयास करते हैं और थक हार कर वापस सिंहासन पर बैठ जाते हैं. तब जनक जी गुस्सा कर धिक्कारते हुए कहते है तजहु आस निज निज गृह जाहु, लिखा नही वैदेही विवाहु. जनक जी के इतना कहते ही लखन जी आक्रोश व्यक्त करते हुए कहते है सच्चा क्षत्रिय अपमान कैसे सह सकते है, प्रभु आप धनुष को क्यों नहीं तोड़ते हैं. लखन के तमतमाते ही पृथ्वी कांपने लगती है. विश्वामित्र समय शुभ जानी….तब विश्वामित्र के श्री राम को आदेश देते है उठहु राम भंजहु भव चापा। श्रीराम शिव धनुष का भंजन करते है. राम के धनुष तोड़ते ही सभा मे खुशिया छा जाती है. सीता राम के गले में वरमाला डालने जाती है. झुक जइहौ तनिक रघुवीर, लली मेरी छोटी सी….सीता द्वारा राम के गले मे जयमाल डालते ही पूरा परिसर जय श्री राम के नारे से गूंज उठा. केपी यादव एवं हरेराम गुप्ता ने आए हुए अतिथियों को अंग वस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया. राजेश गुप्ता, रामायण ठाकुर, ओके जायसवाल, समाजसेवी कृष्णपाल यादव,राहुल ठाकुर, कृष्णा गुप्ता,गणपति गोड़, छांगुर प्रजापति उपस्थित रहे।संचालन लक्ष्मण दास जी एवं राजकुमार यादव ने किया.