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आंसुओं में डूबा बिन्द बस्ती, बेचैनी में बीती रात
पीड़ितों को फिलहाल तक कोई सरकारी मदद नहीं मिला
सिकंदरपुर (बलिया)। क्षेत्र के लिए लीलकर गांव के सामने शुक्रवार को घाघरा नदी में डेंगी पलटने और तीन लोगों की जल समाधि के दूसरे दिन भी बिंद बस्ती की स्थिति असामान्य रही. दुर्घटना में मौत के सदमे से ऊबर नहीं पाए बस्ती के लोग. मृतक व लापता लोगों के परिजन शोक व मातम में डूबे हैं. बस्ती में चारों तरफ एक अजीब तरह का सन्नाटा पसरा हुआ है.
अलबत्ता चंद लोगों के दरवाजों पर पुरुष और महिलाएं खड़े हो हादसा में मृतकों के बारे में अवश्य चर्चा करते देखे गए. इस दौरान उनके चेहरे पर दुख व शोक का भाव स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा था. लोगों में यह भी चर्चा का विषय रहा कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद प्रशासनिक स्तर से मृतक परिवारों को अब तक एक धेला भी दे कर उनका आंसू नहीं पोछा गया. उधर दूसरे दिन भी लापता दोनों लोगों की तलाश में लोग लगे रहे. दर्जनों लोग सुबह से तलाशी अभियान में लग नदी किनारे इस उम्मीद में घूमते रहे कि शायद कहीं शव नदी जल पर उतराए मिल जाए. उनका मेहनत तब रंग लाया जब सुबह करीब 8:00 बजे दुर्घटना स्थल से करीब 1 फर्लांग दूर जानकी पुत्री अगरचंद का शव नदी के जल के ऊपर उतराया मिला. जानकी का शव मिलने की गांव में खबर पहुंचते ही सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गए साथ ही उसे लेकर अगरचंद के दरवाजे पर पहुंचे. शव पहुंचते ही अगरचंद के परिवार में कोहराम मच गया. जानकी की मां लक्ष्मीनिया दहाड़े मार कर रोने लगी. उसे सांत्वना देने का प्रयास करने वाली बस्ती की महिलाओं के आंखों से भी झर झर आंसू बहाने लगते थे. इस दौरान सूचना पाकर थानाध्यक्ष अविनाश कुमार सिंह, चौकी प्रभारी मालदा विजय प्रकाश मौर्य व सिपाहियों के साथ अगरचंद के दरवाजे पर पहुंच जानकी के शव को पुलिस कब्जे में ले लिया.