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नगरा(बलिया)। गोरखपुर एवं देवरिया जनपद के बाढ़ पीड़ितों के लिए छात्रशक्ति सेवा संस्थान के तरफ से शुक्रवार को दस ट्रकों पर लादकर राहत सामग्री भेजी गई. राहत सामग्री ले जा रहे ट्रकों को सीएसआईएल के प्रबंध निदेशक रमेश सिंह ने नगरा बाजार से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
गौरतलब है कि गोरखपुर और देवरिया जनपद के लोग बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे है, तथा अपना घर छोड़ सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए है. बाढ़ पीड़ितों की पीड़ा को देखते हुए छात्र शक्तिसेवा संस्थान द्वारा राहत सामग्रियों से भरे दस ट्रकों को छात्र शक्ति इंफ्राकन्ट्रक्शन कम्पनी के एमडी रमेश सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. ट्रकों को रवाना करने से पूर्व श्री सिंह ने कहा कि गरीबो, असहायों एवं बाढ़ पीड़ितों की सहायता करना ही मानवता है. गरीबो एवं अभावग्रस्त लोगो की सहायता करना ही मानव धर्म का मूल उद्देश्य होना चाहिए. कहा कि अभी दस ट्रकों से राहत सामग्री भेजी जा रही है. जरूरत पड़ी तो और राहत सामग्री भेजी जाएगी. श्री सिंह ने कहा कि छात्र शक्ति सेवा संस्थान हर वर्ष कही ना कहीं बाढ़ की विभीषिका के पीड़ितों के लिये राहत सामग्री भेजकर एवं बाढ़ क्षेत्र में लंगर चलाकर बिना किसी भेद भाव के सहयोग करती रही है. इस मौके पर पूर्व प्रमुख निर्भय प्रकाश, पिंकी सिंह, पिंटू यादव, मुकेश सिंह, संतोष पांडेय सहित तमाम लोग मौजूद रहे.
छात्र शक्ति इंफ्राकन्ट्रक्शन कम्पनी के प्रबंध निदेशक रमेश सिंह ने बताया कि राहत सामग्री में प्रत्येक पीड़ित परिवारों के लिए पांच पांच किग्रा आटा, चावल के अलावा दाल,नमकीन, बिस्किट, ब्रेड, चीनी, चायपत्ती,चूड़ा, गुड़, लाई, मोमबत्ती, माचिस और थाली, गिलास है. इसके अलावा अन्य जरूरत की चीजे भी राहत सामग्री में शामिल है. श्री सिंह ने बताया कि जिन पीड़ितों के पास पशु है, उनके लिए एक एक भक्कू भूसा और खली भी राहत सामग्री के साथ भेजा गया है. बताया कि राहत सामग्री रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह और जिला प्रशासन की मौजूदगी में पीड़ितों में वितरित किया जाएगा. एमडी रमेश सिंह ने बताया कि गोरखपुर, देवरिया में जो बाढ़ पीड़ित अपना घर छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर शरण लिए है, उनके भोजन के लिए छात्रशक्ति सेवा संस्थान द्वारा लंगर आरम्भ कर दिया गया है. साथ ही उनके बीमारियों के उपचार के लिए दवा हेतु शिविर भी लगाया गया है. कहा कि बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में चलाए जा रहे लंगर और चिकित्सा शिविर तब तक चलेगा, जब तक बाढ़ पीड़ित सुरक्षित अपने घरों को न लौट जाए.