दतहां और तिलापुर डेंजर जोन के बीच घाघरा की लहरों का रौद्र रूप

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रेवती (बलिया)। शुक्रवार को घाघरा के उग्र तेवर के बीच टीएस बन्धे के दतहां एवं तिलापुर डेंजर जोन के बीच घाघरा की लहरों के दबाव की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी सहित तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए. जिलाधिकारी सुरेन्द्र विक्रम ने इस बाबत सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आवश्यक निर्देश दिया. जिलाधिकारी ने बताया कि नदी का दबाव बन्धे पर बन गया था, जो नियंत्रित कर लिया गया है. बंधे की सुरक्षा में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी.
उन्होंने ने बताया कि  एनडीआरएफ की टीम यहा कैम्प करेगी. एनडीआरएफ टीम में कुल 45 जवान, दो नाव व सारे उपकरण साथ में है. फ्लड फाइटिंग के लिये बोल्डर, जीओ बैग, क्रेट के लिए जाली की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जा रही है. उन्होंने तटवर्ती ग्रामीणों से  अनुरोध किया कि नदी के दबाव की स्थिति में बंधे पर मौजूद सिंचाई विभाग के अधिकारियो व कर्मचारियो का  सहयोग करें. मनियर, अठगांवा जयप्रकाश नगर में हो रहे कटान का कार्य भी  इन्हें देखना पड़ रहा है. थानाध्यक्ष को एनडीआरएफ टीम के रहने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया.

जिनके पास अपनी नाव है, तैरना जानते हो, वे लोग जरूरी सुरक्षा सामान रस्सी, ट्यूब,  पानी के बोतल आदि सहित बंधे पर एलर्ट रहें. जरूरत के मुताबिक लोगों की मदद करेंगे.  जिलाधिकारी ने बताया कि  जरूरत के मुताबिक जहां-जहां  नदी का दबाव उत्पन्न होगा. फ्लड फाइटिंग हेतु संबंधित विभाग को निर्देशित कर दिया गया है. एडीएम मनोज सिंहल, अधीक्षण अभियन्ता सिंचाई अजय राय, एसडीएम बैरिया राधेश्याम पाठक, सीओ बैरिया राम दरश यादव, एसडीओ अनिल कुमार, थानाध्यक्ष रेवती कुंवर प्रभात सिंह आदि उपस्थित रहे.

मनियर प्रतिनिधि के मुताबिक घाघरा में लगातार हो रहे जल वृद्धि से कटान का कार्य ककरघटा खास गांव को प्रभावित करने पर आमादा है. इस गांव की बस्ती से सटे उतरी छोर पर प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत बनी सड़क का 1/4 हिस्सा कटान के चलते नदी में समाहित हो चुका है. समय रहते सड़क को बचाया नहीं गया तो वह दिन दूर नहीं है कि 216 परिवारों की अबादी के लोगों को दूसरे जगह पलायन होने पर मजबूर होना पड़ेगा. हालांकि प्रशासन की तरफ से पेड़ की डाली काटकर व प्लास्टिक की भरी बोरिया डालकर बचाव कार्य में जेई गनेश प्रसाद कैंप लगवाकर डलवा रहे हैं. रात को जनरेटर चलाकर बस्ती के लोग की निगरानी रखी जा रही है. ग्रामीणों को कटान व बाढ़ की विभीषिका सता रही है.