​आरटीआई को हथियार बना, पीएम से मांगा जवाब

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

गरीब तो वहीं के वहीं, माननीयों की तत्‍काल तरक्‍की का क्‍या है राज ?

बैरिया (बलिया)। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को हथियार बना जयप्रकाशनगर क्षेत्र के समाजसेवी सूर्यभान सिंह ने आजादी की वर्षगांठ से पूर्व इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ गम्भीर सवालों का जबाब मांगा है. सवाल किसी एक बिंदु पर नहीं, कई बिंदुओं पर है. इसमें सबसे खास है माननीयों की आर्थिक तरक्‍की. उन्‍होंने आरटीआई के तहत यह सवाल किया है कि मंच से सीएम, मंत्री, सांसद, विधायक जितनी बातें गरीबों के लिए करते है या फिर सरकार बेरोजगारी, आर्थिक गणना, आदि का जो सर्वे कराती है, उसमें कितने प्रतिशत लोगों की गरीबी दूर हुई.  कितने बेराजगारों को रोजगार मिला. चुनाव से पहले मंत्री, सांसद, या विधायकों की आर्थिक दशा खराब रहती है. किंतु पद पर आसीन होते ही उनकी दशा में तुरंत बदलाव शुरू हो जाता है. काफी कम दिनों में उनकी यह आर्थिक तरक्‍की कैसे हो जाती है कि वह कई बड़े फर्म के मालिक बन बैठते हैं और उनके और उनके परिवार, रिश्‍तेदारों आदि के बैंक खातों में बेशुमार धन जमा हो जाता है. आप प्रधानमंत्री हैं, यह बताने का कष्‍ट करें कि आचानक माननीयों की इस तरक्‍की का राज क्‍या है ?

अगला सवाल यह कि आपकी सरकार साफ-सुथरी छवि की सरकार कही जा रही है. किंतु आप यह बताने की कृपा करें कि आपकी सरकार में ऐसे कितने माननीय मुख्‍यमंत्री, सांसद, मंत्री, विधायक हैं, जिन पर अदालतों में अपराध, भष्‍टाचार आदि के मुकदमे विचाराधीन हैं. आपकी सरकार गरीबों का भला ही करना चाहती है,  तो कैसे ?  आपकी सरकार को भी कौन सी ऐसी मजबूरी है कि वह किसी गरीब परिवार से किसी जूझारू यूवा को राजनीति में आगे न लेकर, किसी दबंग और अपराधिक छवि के लोगों को चुनाव जीतवा कर विभिन्‍न पदों पर आसीन करती है.

बेघर लोगों में कितनों को मिला आवास?
सवालों की कड़ी में ही, यह सवाल भी शामिल है कि कटान आदि से तबाही के बाद बेघर हुए लोगों, या फिर गरीबों में कितनों को आवास का लाभ मिला ? आप ही बताएं आपकी सरकार में गरीबी का असल मानक क्‍या है ? गांवों में बसने वाले लोग आज एक नहीं कई समस्‍याओं से घिरे हुए कराह रहे हैं. आपकी सरकार में कितने प्रतिशत गरीबों की आर्थिक दशा सुधर सकी. देश में कितने प्रतिशत गरीब सकून की जिंदगी जी रहे हैं.

केवल सामान्‍य पर ही क्‍यों है कानून का राज

पीएम से समाजसेवी का यह सवाल भी है कि प्रशासन या कानून का राज केवल सामान्‍य लोगों पर ही क्‍यों है ? जबकि पहुंच वाले लोगों के मामले में यह कानून बौना साबित हो जाता है. चाहे वह शराब बिक्री का मामला हो, खनन या फिर कोई अन्‍य मामला. समाज में काननू जब सभी के लिए एक है तो समाज में दो तरह की इस व्‍यवस्‍था की वजह क्‍या है ? आज दबंग प्रशासन के सामने ही गलत कार्य करते हैं, ठेकेदारी करते हैं, खनन कराते, हैं, किसी को भी बेईज्‍जत कर देते हैं, किंतु उनका कुछ नहीं होता. वहीं सामान्‍य व्‍यक्ति सही कार्य में कानून के शिकंजे में फांस दिया जाता है. ऐसे हजारों उदाहरण हैं.देश में ऐसी व्‍यवस्‍था की क्‍या वजह है ?

राष्‍ट्रपति और पीएम के अलावा नहीं है किसी अन्‍य की जरूरत

समाजसेवी ने आरटीआई के माध्‍यम दर्जनों सवालों के साथ-साथ एक सुझाव भी दिया है. वह यह कि देश में राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री के अलावा अन्‍य किसी राजनीतिक पद की कोई अवश्‍यकता नहीं है. वजह कि जितना धन सीएम, सांसद, मंत्री, विधायक, प्रमुख, जिला पंचायत, प्रधान, बीडीसी आदि के ऊपर होता है. उतना यदि गरीबों के विकास में खर्च कर दिया जाए, तो देश की तस्‍वीर बदल सकती है. उन्‍होंने कहा है कि समाजिक मानसिकता का बंटवारा करने वाले भी इन्‍हीं पदों पर आसीन राजनीतिक लोग हैं. एसे में आपकी बहुमत की सरकार है. आपको चाहिए कि संविधान में जरूरी संसोधन करें, ताकि अमर शहीदों की कल्‍पाओं का भारत बन सके.

आरटीआई से ही लोगों दिलाते रहते न्‍याय
नाम सूर्यभान सिंह, निवासी भवन टोला, जयप्रकाशनगर, बहुत पहले से इसी आरटीआई को हथियार बना, लोगों को अन्‍य मामलों में भी न्‍याय दिलाते रहते हैं. यह कार्य अभी जारी है. यही वजह है कि गांव के लोगों ने उन्‍हें समाजसेवी की संज्ञा से विभूषित कर दिया. इस बार उन्‍होंने जेपी के गांव से पीएम से अपने सवालों का जबाब मांगा है. अब देखना यह है, कि प्रधानमंत्री के यहां से एक आम आदमी के सवालों के क्‍या जवाब प्रस्‍तुत होते हैं या फिर ऊपरी स्‍तर पर आरटीआई का भी कोई मतलब नहीं है.