बेलहरी ब्लाक में  110 दिनों से रुका विकास का पहिया 

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वित्तीय वर्ष 2016-17 का करोड़ों रुपये का हिसाब नहीं किया आनलाइन

हल्दी (बलिया) से सुनील कुमार द्विवेदी 

विकास खण्ड बेलहरी में कुल 31 ग्राम पंचायतें है. जिसमें से मात्र 11 की ही आईडी जनरेट हो सकी है. इसका मतलब यह है कि इन 11 पंचायतों में ही विकास कार्य करा पाना तत्काल संभव है. जबकि वित्तीय वर्ष अप्रैल माह में ही शुरू हो जाता है और ग्राम सभाओं के द्वारा पूरे एक वर्ष का कार्ययोजना जमा किया जाता है. संबंधित अधिकारियों के लापरवाही पूर्ण रवैया के कारण 20 गावों में 110 दिन से एक रुपये का भी विकास कार्य नहीं हो सका है. कारण है कि ग्राम सभाओं करोड़ों रुपये का हिसाब आनलाइन नहीं किया गया है.

केंद्र व राज्य सरकार का मानना है  कि ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा, तभी देश का विकास संभव है.  इसके लिए पंचायतों को पहले से अधिक पैसा व अधिकार भी दे रखा है. लेकिन संबंधित अधिकारियों के द्वारा सरकार की मंशा पर पानी फेरा जा रहा है. तत्कालीन डीपीआरओ राकेश कुमार यादव ने अप्रैल माह में एक पत्र जारी कर निर्देश दिया था कि जब तक वित्तीय वर्ष 2016-17 के एक्शन सॉफ्ट व प्रिया सॉफ्ट का लोडिंग नहीं होगा, तब तक 2017-18 का प्लान प्लस फिडिगं नहीं किया जायेगा. यह आदेश आने के बाद संबंधित कर्मचारियों के हाथ-पांव फूलने लगे. क्योंकि वित्तीय वर्ष 2016-17 में ग्राम पंचायतों ने लाखों रुपये का काम करने के बाद भी कम्प्यूटर पर आनलाइन फिडिंग नहीं किया था. इसमें संबंधित कर्मचारियों को डर है कि पूरा ब्यौरा लोड होने के बाद उनकी करतूत जग जाहिर हो जायेगी. यही कारण है कि बेलहरी ब्लाक के 20 गांवों में लगभग 110 दिन से एक रुपये का राज्य वित्त व 14वाँ वित्त में कार्य नहीं हो सका हैं. जबकि कम्प्यूटर में फिडिंग करने का काम मार्च माह के अंत तक हो जाना चाहिए था. गांवों में विकास करने वाली सभी तरह की योजनाएं पूर्णतः महीनों से बंद पड़ी है.

अप्रैल माह की शुरुआत में ही ग्राम सभाओं से लाखों रुपये का कार्ययोजना वित्तीय वर्ष के लिए तैयार कर खण्ड मुख्यालय पर जमा किया जाता है, और उसी के आधार पर वर्ष भर का कार्य किया जाता है. लेकिन साढे तीन महीने बीत जाने के बाद भी कार्ययोजना तैयार नहीं हो सका जिसके कारण राज्य वित्त व चौदहवें वित्त के जरिये कराये जाने वाले सभी विकास कार्यों पर ब्रेक लग गया है. विभाग की माने तो नये डीपीआरओ ने कार्य योजना जमा करने के साथ ही आईडी जनरेट कराने के लिए कहा है, साथ में यह भी कहा है कि नये विकास कार्यों के साथ ही वित्तीय वर्ष 2016-17 की फिडिंग भी तत्काल करा दिये जाय. ऐसे में अब कुछ उम्मीद लगी है कि गावों में विकास को गति मिलेगी. लेकिन वित्तीय वर्ष बीत जाने के साढे तीन महीने तक गावों में विकास कार्य रुका तो भी फिडिंग नहीं हो सका तो अब 2016-17 की फिडिंग कब तक होगा यह समझ से परे है.