क्या गंगा व घाघरा की लहरों को झेल पाएंगे ये बारह हजारी शौचालय – रूबी सिंह

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बैरिया (बलिया)। मुरली छपरा ब्लाक अंतर्गत कोडरहा नवबरार (जयप्रकाश नगर) की महिला ग्राम प्रधान रूबी सिंह ने पीएम और सीएम को पत्र लिखकर सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने में होने वाली दिक्कतों के बाबत बताया है. श्रीमती सिंह ने भेजे गए पत्र में लिखा है कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव कि वह प्रधान हैं. उनकी ग्राम पंचायत अत्यंत ही बाढ़ प्रभावित इलाके में है. बाढ़ व कटान के दिनों में यहां अच्छे-अच्छे भवन देखते ही देखते गंगा व घाघरा की लहरों में समा जाते हैं. भयंकर आपदा आ खड़ी होती है. ऐसा यहाँ हर साल होता है. ऐसे में यहां मात्र 12 हजार रुपये में निर्धारित तौर तरीके से बनाए जाने वाले शौचालय बाढ़ के दिनों में अपना अस्तित्व भी बचा पाएंगे. यह बड़ा सवाल है.

उन्होंने मांग की है कि उनके यहां का भौतिक सर्वेक्षण कर यहां के लोकेशन के अनुसार शौचालय बनाने की व्यवस्था की जाए. जो प्रक्रिया यहां के लिए शौचालय बनाने की है. वह उपयोगी नहीं है. श्रीमती सिंह अपने पत्र में जिक्र किया है कि हम लोकनायक के गांव से हैं. लोकनायक ने यहां के लोगों को एक सपना दिखाया था. सरकारी सूची के अनुसार गरीब लोगों को आवास दिया जाता है. लेकिन सूची में नाम न होने की वजह से बहुत से ऐसे गरीब लोग सुविधा से वंचित रह जाते हैं, जो सूची में शामिल लोगों से ज्यादा जरूरतमंद हैं. इसी तरह से रसोई गैस वितरण. अंत्योदय राशन कार्ड आदि में भी परिस्थितियां सामने आती है.

महिला प्रधान ने गुहार लगाई है कि प्रधानों को भी सांसद और विधायक की तरफ से न्यूनतम 10% तक अधिकार दिया जाए कि वह अपने से वास्तविक गरीबों को सूची से वंचित हो जाने के बाद भी आवास और राशन कार्ड दे सकें. श्रीमती सिंह यह भी बताया है गांवों में बाढ़, कटान, आग लगने या किसी अत्यंत गरीब के बीमार हो जाने, उसके घर मौत हो जाने पर किसी तरह का अतिरिक्त बजट नहीं होने के चलते प्रधान तिलमिला कर रह जाते हैं. प्रधानों के लिए कुछ अतिरिक्त फंड की व्यवस्था की जाए. ताकि वह तहसील और ब्लाक का चक्कर लगाने के बजाए सीधे-सीधे तुरन्त अपने बजट से थोड़ा ही सही पीड़ितों को राहत पहुंचा सके. अपने पत्र में लोकनायक के गांव की प्रधान ने सांसद और विधायक की तरह से प्रधानों को भी वेतन, भक्ता और सुरक्षा व्यवस्था का भी मुद्दा उठाया है.