मिट्टी तेल दुकानदारों पर गहराया बेरोजगारी का संकट

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बलिया। प्रदेश सरकार की नयी व्यवस्था से जिले में सौ से अधिक की संख्या में संचालित सरकारी मिट्टी तेल के फुटकर विक्रेताओं पर बेरोजगारी के संकट मंडराने लगे है. बल्कि अप्रैल माह मे मिट्टी तेल आवंटन सूची में इनका नाम शामिल नहीं किया गया है. ऐसी जानकारी होते ही सरकारी मिट्टी तेल के लाइसेन्सी दुकानदार नई सरकार के नई व्यवस्था में अपने बेरोजगार होने की आशंका में तहसील, जिला व आपूर्ति विभाग के दफ्तरों का चक्कर लगा रहे हैं. लगभग चार दशक से चली आ रही व्यवस्था को अचानक रोक दिये जाने प्रभावित दुकानदार मायूस हैं.

यह हम सब के साथ अन्याय है. आखिर अब हम जाए तो कहा जाएं – शोभा मिश्रा, देवकी छपरा सरकारी मिट्टी तेल की लाइसेन्सी दुकानदार

कहां इस नई सरकार के शासन में नए रोजगार के अवसर मिलने की उम्मीदें थीं, यहाँ परिवार के भरण पोषण की ही समस्या खड़ी हो गयी. बहुत से ऐसे लाइसेन्सी दुकानदार हैं, जो अब बूढे हो चले हैं. वह अब फिर से कौन सा नया रोजगार खोजने जायेंगे? और उन्हें कौन सा रोजगार मिलेगा? – राम प्रताप सिंह, तालिबपुर गाँव के सरकारी मिट्टी तेल विक्रेता

ऐसे सवाल उठाते हुए लाइसेन्सी दुकानदार इसे तुगलकी फरमान बता कर इस पर पुनर्विचार की मांग कर रहे है. इस बाबत पूछे जाने पर बैरिया आपूर्ति विभाग के लिपिक विजय ने बताया कि लाइसेन्सी दुकानदारों के यहाँ से एपीएल कार्ड धारकों का ही तेल वितरित होता रहा है. जबकि बीपीएल और अन्त्योदय कार्ड धारकों को सार्वजनिक वितरण की दुकानों से ही राशन व तेल दोनों दिया जाता रहा है. अब सरकार ने एपीएल कार्ड धारकों का मिट्टी तेल बन्द कर दिया. ऐसे मे लाइसेन्सी दुकानदारों का तेल आवंटन स्वयं ही खत्म हो गया.

तीन से चार दशक से लगातार दुकान चला रहे लोगों के एकाएक बेरोजगार होने उनके भरण पोषण के संकट के बाबत जब उपजिलाधिकारी बैरिया अवधेश मिश्र से पूछा गया तो वह सीधे जिलापूर्ति अधिकारी का मोबाइल मिला कर डीएसओ से बात कराये. जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि लखनऊ की मीटिंग में लाइसेन्सी दुकानदारों को सीधे तेल देने से मना किया गया है. अब हम लोग तो सरकारी नौकर है. जो आदेश होगा वह तो पालन करना ही पड़ेगा. हम किसी गाइड लाइन की प्रतीक्षा कर रहें है. कुल मिलाकर इस नयी व्यवस्था से लाइसेन्सी मिट्टी तेल विक्रेताओं के उपर बेरोजगारी व परिवार भरण पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है. ऐसे कोटेदार मुख्यमन्त्री का ध्यान इस मामले में पुनर्विचार के लिये आकृष्ट करवा रहे हैं.