70 फीसदी मुकदमे सरकार के होते हैं, उन्हें कम करने से आम लोगों के मुकदमे सुने जा सकते हैं

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

न्यायपालिका के सामने योग्य, ईमानदार जजों की नियुक्ति की है चुनौती : न्यायमूर्ति गोगोई

इलाहाबाद। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई  ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े भारतीय जनतंत्र में न्यायपालिका के समक्ष योग्य, सत्यनिष्ठ, ईमानदार एवं शिष्ट जजों की नियुक्ति तथा मुकदमों के बोझ से निपटने की बड़ी चुनौती  है. उन्होंने कहा बार, बेंच की मां है. जैसी बार होगी, बेंच भी वैसी होगी. योग्य व सशक्त बार के लिए मेडिकल, इंजीनियरिंग की तरह कानून की पढ़ाई के लिए मानक के अनुरूप लॉ कॉलेज की व्यवस्था करनी होगी. न्यायपालिका का बजट बढ़ाकर  मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने से आम लोगों को न्याय देने में आ रही कठिनाइयों से निपटा जा सकता है. न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि 70फीसदी मुकदमे सरकार के होते हैं, उन्हें कम करने से आम लोगों के मुकदमे सुने जा सकते हैं. न्यायमूर्ति गोगोई स्व. पंडित कन्हैया लाल मिश्र मेमोरियल कमेटी द्वारा उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद में आयोजित भारतीय जनतंत्र में न्यायपालिका के समक्ष चुनोतियां विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि उक्त विचार प्रकट किए .

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि संसद के नए कानून एवं कोर्ट के विधि सिद्धांतों के चलते भविष्य में चुनोतियां बढ़ेगी. उन्होंने स्व. मिश्र को ईश्वरीय उत्पति माना और कहा कि विधिक इतिहास में मिश्र का एक स्थान है. न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि बार व बेंच को न्यायपालिका की गरिमा को कायम रखते हुए मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार के आम बजट की तुलना में कोर्ट को समुद्र में एक बूंद की तरह बजट दिया जाता है. सरकार को कोर्ट फ़ीस की आय कोर्ट में खर्च करनी चाहिए.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ ने कहा कि सरकार चुनने के लिए हमे अवश्य वोट डालना चाहिए. चुनी हुई सरकार, संसद व न्यायपालिका के बीच चेक एवं बेलेन्स जरूरी है. इसके लिए स्वतंत्र व मजबूत न्यायपालिका का होना आवश्यक है. उन्होंने कहा कोर्ट सरकार या संसद के प्रति नहीं, अपितु संविधान के प्रति जवाबदेह है. न्यायपालिका पर संविधान के संरक्षण का दायित्व है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले ने कहा कि न्यायपालिका पर मुकदमो का बोझ है. लोगो का कोर्ट पर विश्वास है. पुराने मुकदमे निपटाने के लिए नये मुकदमों के दाखिले नहीं रोक सकते. वकीलों का सहयोग नहीं मिल रहा. हाई कोर्ट में 9,13 लाख तथा अधीनस्थ अदालतों में 76 लाख मुकदमे विचाराधीन है.  ग्लोबल ट्रेडिंग बढ़ रही है.  हमें मिडीएसन के जरिये मुकदमे निपटने में सहयोग करना चाहिए. समय से मुकदमे की सुनवाई न हो पाना एक चेलेंज है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने कहा कि देश में बेस्ट शासन प्रणाली है, जिसमे शक्तिपृथक्करण सिद्धांत को लागू किया गया है. लोकतंत्र के लिए मीडिया की स्वतंत्रता जरूरी है. संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ किसी भी कानून को रद्द करने का अधिकार न्यायपालिका को है. वरिष्ठ अधिवक्ता वीके श्रीवास्तव ने स्व. कन्हैयालाल मिश्र के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला.