अलसाई सुबह से ही उम्मीदों की आस लिए जागा द्वाबा

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बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र

पहले का द्वाबा और अब के बैरिया विधानसभा क्षेत्र में रविवार की अलसाई सुबह से ही उम्मीदों की आस लिए लोग जागे. शनिवार को मतदान, कहां किसका अधिक किसका कम वोट पड रहा है? कहीं कोई विवाद तो नहीं हुआ? कही पुलिस ने लाठी भांजी क्या? बूथों कैप्चरिग की जुगत लगी की नहीं? फर्जी वोटिंग का जुगाड़ बन पाया कि नहीं? कहां कितना वोट पडा और किसकी जीत की सम्भावना बन रही है? जैसे दिन भर के उबाऊ सवालों व उनके जवाबों के माथापच्ची के बाद थका द्वाबा शनिवार की रात गहरी नींद मे सोया.

रविवार की अंसारी सुबह के साथ द्वाबा ताजगी के साथ जाग गया. पूरे विधानसभा क्षेत्र मे इस बार के चुनाव मे पूर्व के चुनावों की तरह कहीं भी सिरफुटौव्वल, मारामरी, पुलिस की लाठी, मतदान केन्द्र से पकड कर थाने ले जाकर दिन भर बैठाने, बूथ कैप्चरिग, फर्जी वोटिंग आदि घटना व कार्रवाई कही नहीं हुई. यह यहां के लिए अभूतपूर्व सुखद बात है. सुबह-सुबह द्वाबा में अगर आश्चर्य और खुशी की बात रही तो यही रही. शायद मतदान के ऐन दो दिन पहले ताबड़तोड़ दल बदल करते हुए समाजवादी पार्टी मे आए यहां के पूर्व विधायक सुभाष यादव ने द्वाबा के अजब गजब, किन्तु भाई द्वाबावासियो में यह प्रेरणा भर दी कि पार्टी व नेता का चक्कर छोड़ो. अब जमाना बदल गया है. सिर्फ और सिर्फ अपने भले की बात सोचो.

सम्भवतः यही प्रेरणा लोगों में गहरे तक उतरी और लगे हाथ लोगों इसे आजमाया भी. यहा तनाव रहित पूरी तरह खुशनुमा माहौल में मतदान हुआ. अलबत्ता रविवार का सूरज नई उम्मीदों की रौशनी लेकर उगा. गांव, गली, बाजार, चौपाल, चट्टी, चौराहा सब जगह कौन जीत सकता है, कौन हार रहा है की बतकही होती रही. सब अपने चहेते के पक्ष में अपने अकाट्य तर्क देते दिखे. यद्यपि सारे प्रत्याशियों के कर्म व चरित्र का फल ईवीएम में बन्द है. जनता ने तो अपना निर्णय कर दिया है.

11 मार्च के पहले कुछ भी कहने का कोई अर्थ ही नहीं बनता. रुक्का किसी का सही तो किसी का गलत हो सकता है, लेकिन एक बात तो सच है कि द्वाबा ने इस बार सोच समझ कर उम्मीदों के साथ बिना राग द्वेष के उम्मीदों के साथ मतदान किया है. उनकी उम्मीदों मे थाना, चौकी, तहसील, ब्लाकों, अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म कराने वाले, शिक्षा, सार्वजनिक वितरण को दुरुस्त करने वाले किसानों की समस्याओं सडक, बिजली, पानी, यातायात व्यवस्था अच्छा करने वाले, बाढ कटान व आग की घटनाओं से होने वाले नुकसानों को कम कराने वाले तथा हर खुशी दु:ख आपदा विपदा में साथ खडे होने वाले रहनुमा की तस्वीर ही उभर रही है.