Live Video ऐसे में कटान से कैसे बचेगा नौरंगा? यही यक्ष प्रश्न है

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बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र

नौरंगा को गंगा के कटान से बचाने के लिए लगभग 9 करोड़ की लागत से शुरू कराए गए कटान रोधी कार्य अन्य कटानरोधी कार्यों की तरह भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ जाएगा. ग्रामीणों ने कटान विरोधी कार्य में घोर अनियमितता का आरोप लगाते हुए बाढ़ खंड के अधिकारियों पर सरकारी धन के लूट खसोट व बंदरबांट का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना है की बाढ़ खंड का असल उद्देश्य सरकारी धन का लूट करना है, न की गंगा पार के गांव नौरंगा को कटान से बचाने का है. इसे भी पढ़ें – टीएस बंधे की स्थिति नाजुक, सुल्तानपुर और जयनगर के बीच हल्का रिसाव

उल्लेखनीय है कि 9 करोड़ रुपये की लागत से 11 मई को यहां कटान रोधी कार्य शुरू कराया गया था. तब लोगों को यह बताया गया था कि पारकोपाइन विधि से शुरू कराया गया कटान विरोधी कार्य 15 जुलाई तक पूरा करा दिया जाएगा. किंतु कार्य में लापरवाही, शिथिलता के कारण अभी तक 25 प्रतिशत भी कार्य पूरा नहीं हो पाया है. जिससे ग्रामीण आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि अगर कटान तेज हुआ तो नौरंगा को भारी नुकसान पहुंचेगा. ग्रामीणों के अनुसार जुलाई माह में अब तक गंगा का जलस्तर इतना नहीं बढ़ा था, वहीं अनवरत हो रही बारिश कोढ़ में खाज बन गया है. इसे भी पढ़ें – गंगा तो थिराई, मगर किसान कर रहे त्राहिमाम, सरयू मइया से लगा रहे गुहार

ग्रामीणों का आरोप है कि जानबूझकर बाढ़ विभाग गंगा का जलस्तर बढ़ने के इंतजार में था. ताकि कटान विरोधी कार्य के नाम पर लूट खसोट किया जा सके. ग्रामीणों ने पारकोपाइन के खंभों में मानक का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि जमीन पर गिरने पर पारकोपाइन के खंभे टूट जा रहे हैं. वह नदी का धारा कैसे रोकेंगे? वहीं पारकोपाइन के तल में गिट्टी बालू मिट्टी आदि नहीं भरे जाने के कारण नदी के धारा के हल्के प्रवाह में ही पारकोपाइन जल समाधि ले ले रहे हैं. ऐसे में कैसे नौरंगा बचेगा? यह यक्ष प्रश्न है.

इस बाबत पूछने पर बाढ़ विभाग के अवर अभियंता प्रशांत कुमार गुप्ता ने कटाव निरोधी कार्य में मानक के उल्लंघन के आरोप को खारिज करते हुए कहा गंगा में अधिक पानी हो जाने के कारण कटान रोधी कार्य रोकना पड़ा है. जैसे ही गंगा का जलस्तर कम होगा कटानरोधी कार्य शुरू करा दिया जाएगा. नौरंगा को फिलहाल गंगा के कटान से कोई खतरा नहीं है.