बांसडीह के किसानों के लगभग हजारों एकड़ खेत सरयू में समाहित

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बांसडीह से रविशंकर पांडेय

भारी वर्षा के कारण सरयू नदी के जलस्तर में शुक्रवार को वृद्धि दर्ज की गई. सरयू के उफनाने से इलाके के लोगों में दहशत व्याप्त है. रिगवन गांव के लोगों का कहना है कि अगर इसी तरह पानी का बढ़ना जारी रहा तो 1998 का भी रिकार्ड टूट सकता है. एक सप्ताह से सरयू नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि से अब इलाके के लोगो में खौफ है.

नदी हजारों एकड़ खेतों को निगल चुकी है. कहीं गांव समाहित न हो जाए. यह डर लोगों को सता रहा है. शुक्रवार की सुबह 8 बजे घाघरा डीएसपी हेड पर 64.48, वहीं चांदपुर में 57.64 मापा गया, जबकि खतरा बिंदु 64.01 है. ऐसे में खतरा बिंदु से ऊपर नदी का बहाव जारी है. बांसडीह
इलाकाई किसानों के खेतों में पानी जमा है. नतीजतन पशुओं के चारे का भी संकट गहरा गया है.
हालांकि इलाकाई लोगों का कहना है कि दियारा क्षेत्र के रिगवन छावनी, नवकागाँव, बिजलीपुर, कोटवा, मल्लाहि चक, चक्की दियर, टिकुलिया, पर्वतपुर, रघुबर नगर आदि गाँवों के किसानों के लगभग हजारों एकड़ खेत घाघरा में समाहित हो चुके हैं.

सरयू का पानी बाढ़ की वजह से दहताल में आता है. पानी से (दहताल मुड़ियारी से लेकर पकड़िया पर्वतपुर रेगुलेटर) मुड़ियारी, शकरपुरा, बरियारपुर, पर्वतपुर, पकड़िया, सारँगपुर, मंझरिया, गोसाईपुर आदि गाँवों के हजारों किसानों के हजारों एकड़ फसल जिसमे बाजरा, मक्का, गन्ना, धान आदि फसलें सरयू के पानी से डूब गए हैं. इन गाँवों के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं.

उधर सरयू के तटवर्ती गांव की उपजाऊ जमीन को हमेशा की तरह इस बार भी धीरे-धीरे नदी काटकर अपने आगोश मे ले रही है. दो दिन सरयू का पानी घटाव पर था, लेकिन इलाके के लोग परेशान हैं. नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे की चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं. विवशता तो यह है कि उन्हें अपनी जमीन को बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा. सुरसा की तरह आए दिन नदी कई बीघा उपजाऊ जमीन को अपने आगोश में ले रही है. पेड़ भी नदी में समाहित हो रहे हैं. जिससे दियारे के लोग भय में है.

इनका कहना है कि अभी यह हालत है तो नदी का रौद्र रूप सामने आने पर क्या होगा. सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से किसानों की खडी फ़सल डूब गई. चारों तरफ पानी में खेत या यूं कहें खेतों में पानी ने बुरा हाल कर रखा है. इलाकाई लोगों का कहना है कि आधा दर्जन गांवों को मिलाकर हजारों एकड़ घाघरा की पानी से फसल बर्बाद हो गई. पशुओं के लिए चारा ही निकाल लें यह सोचकर किसानों ने अपने पशु के लिए डुबी हुई फसल से चारा काट कर संतोष कर रहे हैं. खेतों और पानी के बीच से चारा काट कर ला रहे हैं. हालांकि उपजिलाधिकारी बांसडीह दुष्यंत कुमार मौर्य, तहसीलदार गुलाबचन्द्रा, मनियर थानाध्यक्ष नागेश उपाध्याय, क्षेत्रीय लेखपाल संजय राम आदि इलाके का दौरा कर रहे हैं.