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प्रयागराज से आलोक श्रीवास्तव
69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में आवेदन फार्म की गलतियों को सुधारने के लिए काफी संख्या में याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की गई थीं. लेकिन हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों को राहत देने से इनकार कर दिया है.
कई अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन में इंटरमीडिएट और बीए के अंक, पिता की जगह माता का और माता की जगह पिता के नाम में गड़बड़ियां की हैं, इसमें सुधार के लिए याचिकाएं दाखिल की गईं थीं, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि भर्ती के विज्ञापन और शासनादेश तथा आवेदन भरते समय दिए गए निर्देशों में स्प्ष्ट है कि आवेदन फार्म एक बार सब्मिट करने के बाद किसी दशा में सुधार का मौका नहीं दिया जाएगा.
रुखसार खान सहित दर्जनों अन्य याचिकाओं पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने यह फैसला सुनाया.
प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता विक्रम बहादुर सिंह ने याचिकाओं का प्रतिवाद किया. तमाम अभ्यर्थियों ने याचिकाएं दाखिल कर कहा था कि सहायक अध्यापक भर्ती का आवेदन करते समय मानवीय त्रुटि के चलते उनके ऑनलाइन आवेदन गलत हो गए हैं.
याचीगण के वकीलों की दलील थी कि लोक पदों पर नियुक्ति के समय मेधावी अभ्यर्थियों का चयन किया जाना जरूरी है. मामूली मानवीय त्रुटि के कारण मेधावी अभ्यर्थी को चयन से बाहर करना अनुचित है.
कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि आवेदन फार्म भरते समय यह स्पष्ट प्रावधान किया गया था कि ऑन लाइन आवेदन भरने के बाद अभ्यर्थी उसका प्रिंट आउट लेकर अपने मूल दस्तावेजों से मिलान कर यह सुनिश्चित करेगा कि उसके द्वारा भरी गई सभी प्रविष्टियां सही हैं. इसके बाद वह इस आशय की उद्घोषणा करेगा कि उसने अपनी सभी प्रविष्टियों का मिलान कर सुनिश्वित कर लिया है, सब कुछ सही है. लोक पदों पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी के संबंध में सभी जानकारियां सही होनी चाहिए. इसमें बाद में संशोधन की अनुमति नहीं दी जा सकती है.