देश में लड़े जाने वाले जनान्दोलनों के जनयोद्धा थे चितरंजन सिंह

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शोक सभा मे पीयूसीएल संगठन के सदस्यों ने अर्पित की श्रद्धांजलि

बलिया। लोक स्वातंत्र्य संगठन (पीयूसीएल) की जिला इकाई की शोक सभा में संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया.

अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संगठन के सदस्यों ने कहा कि चितरंजन सिंह के निधन से बलिया पीयूसीएल को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने ही यहां पीयूसीएल की बुनियाद रखी थी. उनके नेतृत्व व निर्देशन में संगठन ने जिले में कई निर्णायक लड़ाइयां लड़ीं. वे हमारे मार्गदर्शक होने के साथ ही देश में लड़े जाने वाले जनान्दोलनों के जनयोद्धा थे. लोकनायक जयप्रकाश नारायण में उनकी अगाध श्रद्धा थी. वे कहते थे कि हम जेपी की संवेदनाओं व संवेगों से संचालित होते हैं.

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सदस्यों ने कहा कि चितरंजन सिंह जिले में मानवाधिकार के लिये हुए संघर्षों के लिए लम्बे समय तक याद किए जाएंगे. सदस्यों ने कहा कि कोकाकोला के खिलाफ हुई लड़ाई, भूख से हुई मौत को लेकर चला संघर्ष, काला कानून के विरूद्ध जागरूकता अभियान, पुलिस द्वारा किए गए फर्जी मुठभेड़ को लेकर लड़ी गयी लड़ाई में उनका योगदान लम्बे समय तक याद किया जाएगा.

शोकसभा में रणजीत सिंह, डॉक्टर हरिमोहन, प्रदीप सिंह, गोपाल सिंह, जेपी सिंह, अरुण सिंह, सूर्यप्रकाश सिंह, विवेक सिंह, उदयनारायण सिंह, लक्ष्मण सिंह, विनय तिवारी, विनय सिंह,रामकृष्ण यादव, अजय पाण्डेय, रामजी तिवारी, रणवीर सिंह सेंगर, बलवंत यादव, अमर नाथ यादव, संजय सिंह, ज्योति स्वरूप पाण्डेय असगर अली, पंकज राय, अजय सिंह, रितेश पाण्डेय आदि उपस्थित रहे.

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असाधारण व्यक्ति थे चितरंजन सिंह: कान्हजी

बलिया। चितरंजन सिंह एक जनयोद्धा थे. वे क्रांतिकारी आन्दोलनों के साथ नागरिक अधिकार आन्दोलनों के भी सशक्त हस्ताक्षर थे. साथ ही साथ वह एक उच्च कोटि के स्तंभकार भी थे. उनके द्वारा लिखे लेखों को पढ़ के नाइंसाफी के खिलाफ लड़ने की ताकत मिलती थी.
उक्त बातें समाजवादी पार्टी के जिला प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय “कान्हजी” ने प्रेस को जारी पीयूसीएल के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कही.

पांडेय ने कहा कि गरीबों व समता मूलक समाज और बराबरी के हक के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले एक साधारण दिखाने वाले चितरंजन सिंह असाधारण व्यक्ति थे. उनका जाना जनांदोलन और नागरिक अधिकार के आवाज का भी जाना है. साथ ही बलिया जनपद ने भी अपना एक संघर्षशील बागी लाल को अलविदा कहा है. उनकी रिक्तता को हाल फिलहाल भरना मुश्किल है.