लापरवाही के चलते हुई थी जच्चा बच्चा की मौत, मेडिकल कॉलेज के अधिकारी तलब

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आदमपुर में रहकर ईंट भट्‌ठे में मजदूरी करता है बलिया का विक्की
पत्नी की हालत खराब होने के बाद भी उसे यहां से वहां रेफर करते रहे डॉक्टर

जालंधर। डॉक्टरों की लापरवाही के चलते जच्चा-बच्चा की मौत के मामले में शुरू मजिस्ट्रेट जांच में तेजी आ गई है. स्मार्ट सिटी की सीईओ एवं जांच अधिकारी आईएएस शीना अग्रवाल ने बुधवार को आदमपुर अस्पताल, सिविल हॉस्पिटल और अमृतसर मेडिकल कॉलेज के संबंधित हेल्थ अधिकारियों को तलब किया है.

वहीं जांच में शिकायतकर्ता को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए इसी दिन बुलाया गया है. जालंधर वेलफेयर सोसायटी के सीनियर सदस्य सुरिंदर सैनी ने संदर्भ में कहा कि 10 जून को जांच अधिकारी ने उन्हें बुलाया है, जिसमें अन्य अस्पतालों के संबंधित चिकित्सकों को भी अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है. उन्होंने प्रेग्नेंट महिला की मौत के मामले में डीसी से जांच कराने की मांग की थी.

उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने 22 वर्षीय कामगार विक्की 28 से 31 मई तक अपनी गर्भवती पत्नी सीमा और बच्चे को बचाने के लिए आदमपुर से जालंधर, जालंधर से अमृतसर और फिर अमृतसर से जालंधर की दौड़ लगाता रहा, लेकिन पैसे और इलाज के अभाव के चलते श्रमिक अपनी पत्नी और बच्चे को नहीं बचा सका. इस दौरान वह 7 सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए गया, हर जगह उसे निराशा ही मिली.

विक्की का कहना है कि 5 मई को जब उसने जच्चा बच्चे का अल्ट्रासाउंड कराया था, तब सीमा की स्थिति सामान्य थी. उसका कहना है कि अमृतसर में उनकी पत्नी को दो दिनों तक भर्ती नहीं किया गया, वहां के डॉक्टरों ने ठीक से इलाज नहीं किया. विक्की का कहना है कि उसने अपनी पत्नी को बचाने के लिए 4 निजी अस्पतालों में भी दिखाया, लेकिन पैसों की कमी के चलते वह प्राइवेट अस्पताल में इलाज नहीं करा पाया.

सिविल सर्जन डॉ. गुरिंदर चावला का कहना है कि जब विक्की अपनी पत्नी को यहां लेकर आया था तो इलाज में कोई देरी नहीं की गई, उसकी पत्नी के पेट में बच्चा पहले से ही मर चुका था. उसका यहां पर बेहतर ट्रीटमेंट किया गया. हालत बिगड़ने पर उसे किसी अच्छे अस्पताल में ले जाने की सलाह दी गई, जिस पर वह मेडिकल कालेज अमृतसर गया. जब वह फिर वापस आया तो पूछा गया तो उसने बताया कि मेडिकल कॉलेज में अच्छा इलाज नहीं मिलने से वह यहां आ गया.