कोरेंटाइन सेंटरों में सहूलियतों का अभाव है परेशानी का सबब

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

रसड़ा (बलिया) से संतोष सिंह

जनपद में प्रतिदिन कोरोना संक्रमित लोगों की इजाफा होने से क्षेत्र की जनता कोरोना की जांच में कमी और जांच रिपोर्ट देर से आने पर सरकार की कार्यशैली पर ही सवालिया निशान खड़े कर रही है. गांवों में बने कोरेंटाइन सेंटरों पर सुविधाओं की मिलने की तो दूर की बात है, कई जगह पीने के पानी का भी अभाव है. जिलाधिकारी आदेश भी हवा हवाई साबित हो रहा है.

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में जिस तरह की दुर्दशा के शिकार मजदूर हैं, वह भी सरदर्द बढ़ा रहा है. बैरिया तहसील क्षेत्र के मधुबनी निवासी कामगार मुनीब साह (30) भी गुजरात से अपने गांव वापस लौट रहे थे, लेकिन वह घर पहुंचते उससे पहले ही मौत उन्हें अपनी ओर खींच ले गई. श्रमिक स्पेशल ट्रेन से वे जौनपुर उतरे, वहां से रोडवेज बस से बलिया के लिए चले. इस दरम्यान मुनीब अपने सीट पर सो गए, पत्नी बगल में ही बैठी थी. बलिया पहुंचने पर पत्नी ने जब अपने पति को उतरने के लिए जगाना शुरू किया तो मुनीब का पूरा शरीर सीट पर ही लुढ़क गया. यह देख पत्नी रोने लेगी. आसपास के लोग उन्हें उठाना चाहे लेकिन मुनीब तो सदा के लिए इस लोक से विदा हो चुके थे.

इससे पहले बनारस के मंडुआडीह स्टेशन पर मुंबई से पहुंची श्रमिक स्पेशल में दो लोगों की लाश मिल चुकी है और बलिया स्टेशन पहुंचते पहुंचते भी दो लोग ट्रेन में ही दम तोड़ चुके थे. गुरुवार को दिल्ली से आई स्पेशल ट्रेन से महज 258 प्रवासी कामगार बलिया रेलवे स्टेशन पहुंचे. जबकि 58 बसों से 1300 प्रवासी श्रमिक भी बलिया पहुंचे. जाहिर है सुविधाओं के अभाव में हो रही मौतें समस्या को और जटिल बना रही हैं.

कोरेंटाइन सेंटरों पर सुविधाओं के अभाव में लोग अपने अपने हिसाब से कोरेंटाइन रह रहे हैं. बाहरी लोगों और मजदूरों के आने से पहले जनपद में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं था, जिसके चलते जनपद ओरेंज जोन में था. क्षेत्र के लोग भी अपने अपने तरीके से तर्क देकर वाह वाही लूटते थे. अन्य प्रदेशों से लौटे मजदूरों और अन्य लोगों के आते ही जनपद के अन्य क्षेत्रों में ही नहीं, रसड़ा क्षेत्र लपेटे में आ गया. रसड़ा क्षेत्र के भी परसिया नसीरपुर तिवारीपुर और नगरा डिहवा में कोरोना पॉजिटिव लोग पाए जा चुके हैं.

गांवों में बाहर से आए लोग धड़ल्ले से घूम रहे हैं. लोगों द्वारा विरोध करने पर बाहर से आए लोग झगड़ा और मारपीट पर भी उतारू हो जा रहे हैं. गावों में बनी निगरानी समिति शोपीस बनकर रह गई है. पूर्व प्रधान अरुण सिंह मुन्ना ने कहा की सरकार द्वारा जांच का दायरा न बढाने से गांवों की स्थिति भयावह हो सकती है. बाहरी लोगों के आने से गाँव के लोग दहशत में जी रहे है.

कितनी हीलाहवाली हो रही है. इसका उदाहरण कल ही बिल्थरारोड स्टेशन पर देखने को मिला. रेलवे स्टेशन के पास बुधवार की सुबह एकबार श्रमिक स्पेशल ट्रेन की चेन पुलिंग कर दो दर्जनों सवार ट्रेन से उतर गये. लोगों को ट्रेन से उतरे देख एएसएम संतोष कुमार ने जीआरपी की मदद से सभी प्रवासियों को स्टेशन पर ही रोक दिया और इसकी सूचना पुलिस की दी. मौके पर पहुंचे तहसीलदार जितेंद्र कुमार ने प्रवासियों की जमकर फटकार लगाई और वाहनों से सभी को गंतव्य के लिए रवाना किया.

बताया कि इन प्रवासी मजदूरों में बिहार के बक्सर जनपद के ब्रह्मपुर व बड़की नैनीजोर, बलिया के चितबड़ागांव, बांसडीह आदि क्षेत्र के लोग शामिल थे.

समाज सेवी विनय जायसवाल ने कहा कि बाहर से आने वालों सभी लोगों की जांच होनी चाहिए. बाहरी लोगों को खुलेआम घूमने से लोगो में दहशत है. प्रधान प्रतिनिधि अनिल सिंह ने भी गांवों में रह रहे सभी होम कोरेंटाइन लोगों की जांच की मांग की. समाज सेवी डॉ. पंकज कुमार सिंह ने जांच का दायरा बढा कर जांच रिपोर्ट में तेजी लाने का सुझाव दिया. गावों में लोग इस बीमारी से डर तो रहे हैं, लेकिन सावधानियां नहीं बरत रहे, जो आने वाले दिनों में परेशानी का सबब बन सकती है.

यही वजह है कि दोकटी थाना क्षेत्र के दलन छपरा और दोकटी गांव में कोरोना पॉजटिव केस मिलने के बाद संक्रमितों के सीधे संपर्क में रहे लोगों सैंपल लेने बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची तो असहज स्थिति उत्पन्न हो गई.

दलन छपरा में संक्रमित व्यक्ति के मोहल्ले के सभी लोग अपना सैंपल देने की जिद करने लगे. हालांकि बाद में समझा बुझा लोगों को शांत कर दिया गया. मगर समस्या तो जटिल होता ही जा रहा है.