शराब की खुली छूट कहीं किए कराए पर पानी न फेर दे

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डॉ. गणेश पाठक

कोरोना वायरस की जंग में लड़ने के लिए प्रभावशाली ढंग से समय रहते हमारे प्रधानमंत्री ने प्रयास शुरू कर दिया. उनकी एक अपील पर पूरे देश की जनता ने विश्वास कर लॉकडाउन को सफल बनाया. सामाजिक दूरी बनाकर एक हद तक कोरोना को रोकने में सफल भी होता दिखाई देने लगा. लेकिन शराब की बिक्री की खूली छूट देकर सारे किए कराए पर पानी फिर गया

मैं मानता हूँ कि देश आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है, किन्तु जान है तो जहान है. जिस तरह से शराब की दुकानों पर अनियंत्रित भीड़ लग रही है और सामाजिक दूरी का पालन किए बिना लोग बेधड़क कोरोना से डरे बिना शराब खरीदने के लिए दौड़ रहे हैं. और मनमाने तौर पर लोग पेटी का पेटी शराब खरीद कर ले जा रहे हैं, क्या इसका असर कोरोना फैलने पर नहीं पड़ेगा. मेरी समझ में इसका दुष्प्रभाव तो कई तरह से पड़ेगा.

सबसे पहले हम कोरोना फैलने को देखें तो जो लोग शराब खरीदने जा रहे हैं, कौन जानता है कि उनमें से कौन कोरोना पॉजिटिव है. इस अनजाने दौर में सामाजिक दूरी का पालन नहीं किए जाने की वजह से कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा निश्चित तौर पर बड़े पैमाने पर बढेगा और एक दो दिन में दिखने भी लगेगा. दूसरी बात यह कि खासतौर से मध्यम एवं गरीब वर्ग के लोग जो किसी तरह कुछ रूपये बचाकर गुजर- बसर करने के लिए रखे थे, वह शराब की खरीदारी में समाप्त होते दिखाई दे रहे हैं. अब ऐसे लोगों के सामने खाने के भी लाले पड़ेंगें और परिवार में कलह होगा.

तीसरी सबसे अहम बात यह है कि जो बेढंगे तरीके से शराब पीने वाले हैं, वो शराब पीकर घर में किस तरह से उत्पात मचाते हैं, बीवी-बच्चों को मारते हैं, यह किसी से छिपा नहीं हैं. निश्चित तौर पर इस तरह की घरेलू हिंसा में वृद्धि होगी और परिवार में कलह होगा तथा परिवार का सुख- चैन छिन जायेगा. इस तरह स्पष्ट है कि शराब बिक्री की इस खुली छूट से जहां हम कोरोना से लड़ने में पिछड़ जाएंगे, वहीं दूसरी तरफ हमें भूख, तनाव, घरेलू हिंसा आदि से भी लड़ना पड़ेगा. शराब पीने से तन एवं मन दोनों अस्वस्थ हो जाता है और जब तन तथा मन दोनों अस्वस्थ हो जाए तो हम क्या कर बैठेंगे, यह समझ में नहीं आता है और फिर हम विनाश के रास्ते पर बढ़ते जाते हैं.

(लेखक अमरनाथ मिश्र पीजी कॉलेज, दुबेछपरा के पूर्व प्राचार्य हैं)