बेटियों का आगे निकलना महिला सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष उदाहरण

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  • चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में बोलीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
  • सामाजिक हित के कार्यों में सक्रिय भागीदारी के लिए आने की भी अपील

बलियाः जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में गुरुवार को कलेक्ट्रेट स्थित बहुउद्देशीय सभागार में हुआ. इसमें राज्यपाल ने 27 मेधावियों को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया.

उन्होंने सभी को उज्ज्वल भविष्य के साथ सफलता के मूल मंत्र भी दिए. सामाजिक हित से जुड़े कार्यों पर चर्चा करते हुए हर किसी को इसमें सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की.

समारोह की शुरुआत मां सरस्वती व पूर्व पीएम चंद्रेशखर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया. इसके बाद विवि का कुल गीत टीडी कालेज के संगीत टीचर अरविंद उपाध्याय ने गाया.

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने कहा कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने में बड़ी संख्या हमारी बेटियों की है. निश्चय ही यह बदलते भारत में महिला सशक्तिकरण का ज्वलंत उदाहरण है. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का प्रभाव अब सुदूर व पिछड़े क्षेत्र में भी दिखने लगा है.

पवित्र भूमि को किया नमन

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बलिया के महापुरुषों और साहित्यकारों को याद कर संबोधन शुरू किया. उन्होंने कहा कि बलिया की धरती सामान्य धरती नहीं है. यहां का इतिहास गौरवशाली रहा है.

 

पौराणिक ऋषि मुनियों के साथ स्वाधीनता आंदोलन के नायकों की धरती है. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, आचार्य परशुराम चतुर्वेदी, रघुनाथ शर्मा, केदारनाथ सिंह जैसे ख्यातिलब्ध साहित्यकारों के साथ पूर्व पीएम चन्द्रशेखर को भी याद किया.

 

समाज और राष्ट्र की रीढ़ है शिक्षा

शिक्षा समाज और राष्ट्र की रीढ़ होती है. शिक्षा की शक्ति से सरकार भली भांति परिचित है. पाठ्यक्रम से लेकर आधारभूत ढांचे तक में मूलभूत बदलाव किए जाएं, ताकि वैश्विक चुनौतियों और सामाजिक समस्याएं दूर करने लायक युवा पीढ़ी बन सकें.

यह भी ध्यान रखना होगा कि इस दौड़ में हम शिक्षा के बुनियादी लक्ष्य से भटक न जाएं. उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतन परंपरा में शिक्षा को चारित्रिक प्रगति का माध्यम माना गया है. आज पूरी दुनिया भारतीय चिंतन प्रणाली की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है.

 

उन्होंने अध्यात्म को शिक्षा का अनिवार्य अंग बनाने की अपील की. उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों से कहा कि कक्षाओं में जीवन समाप्त नहीं होता बल्कि यहां से शुरू होता है. विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘पीछे मत देखो बल्कि आगे देखो‘.

 

 

राज्यपाल ने विवि कुल गीत के गायन को सराहा.उन्होंने कहा कि कुल गीत में कही बातों को सभी विद्यार्थी जीवन में भी उतारें.

 

ऐसे रोकें भोजन और पानी की बर्बादी

 

राज्यपाल ने शादी-विवाह में अन्न-जल की बर्बादी की तरफ भी लोगों का ध्यान आकृष्ट कराया. उन्होंने कहा जितना आवश्यक हो उतना ही थाली में भोजन लेने का संकल्प लें तो 30 प्रतिशत अन्न बचेगा. इसी तरह पानी भी उतना ही लें, जितना पीना है.

 

परिषदीय स्कूल के बच्चे मेरे गेस्टः राज्यपाल

 

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि परिषदीय विद्यालय के बच्चे यहां मेरे गेस्ट के रूप में आए है. उनको मैने स्वयं बुलाया है. उन्होंने कहा कि सामान्यतया परिषदीय विद्यालयों के बच्चे गरीब परिवार के होते हैं. इनके पास कोई ऐसा साधन नहीं होता, जिससे ये बच्चे अपने पाठयक्रम के अलावा कुछ पढ़ सकें. ये बच्चे कभी टूर पर नहीं जा पाते होंगे.

 

इन्हीं सोच के साथ मैंने ऐसे बच्चों से मिलने और उन्हें कुछ भेंट करने के लिए आमंत्रित किया. कहानियों की दो-दो किताब दी गयी. इस तरह एक स्कूल में छोटी सी लाइब्रेरी हो गयी.

 

राज्यपाल के हाथों गिफ्ट पाकर चहके बच्चे

 

राज्यपाल ने पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसंतपुर के 50 बच्चों को पुरस्कार देकर उनका उत्साहवर्धन किया. पुरस्कार के रूप में एक बैग और उसमें दो-दो कहानी की किताब, टिफिन, पेंसिल बॉक्स, बोतल आदि थी. राज्यपाल के हाथों पुरस्कार पाकर बच्चे चहक उठे. पुरस्कार वितरित करने के दौरान राज्यपाल ने कुछ बच्चों से सवाल भी पूछे.

अभिभावक भी परखें एमडीएम की गुणवत्ता

राज्यपाल ने कहा कि परिषदीय स्कूलों में गुणवत्तायुक्त भोजन के लिए गांवों के प्रधानों और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से स्कूलों पर जाने की अपील की. उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान, बच्चों के अभिभावक या गांव के वरिष्ठ नागरिक भी यह देखें कि स्कूल वाले भोजन की गुणवत्ता ठीक है या नहीं. यह जिम्मेदारी गांव के लोगों की भी है. उन्होंने प्राइमरी शिक्षा की मजबूती पर विशेष जोर दिया.

2025 तक भारत को बनाना है टीबीमुक्त

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि 2025 तक भारत को टीबीमुक्त बनाना है तो हम सबको टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लेना होगा और छह महीने तक उनके पीछे रहकर टीबी से मुक्ति दिलाने के लिए काम करना होगा.

उन्होंने यूपी के सभी विश्ववियालय से कुलपति को धन्यवाद दिया, जिन्होंने सात हजार बच्चों को गोद लिया है. उन्होंने कहा कि प्रयास हो कि सबसे पहले यूपी टीबीमुक्त बन जाए. पानी और जलवायु परिवर्तन पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन के लिए यूनिवर्सिटी खास पहल करे.

देश की उन्नति युवा पूंजी में निहितः प्रो. सुरेंद्र

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षा न सिर्फ ज्ञानदायी हो, बल्कि जीवन में विनम्रता और नौतिक मूल्यों का सृजन व संपोषण भी करती हो.

उन्होंने कहा कि किसी भी देश की उन्नति उस देश की युवा पूंजी में निहित होती है. उन्होंने विश्वास जताया कि जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय ज्ञान-विज्ञान का सर्वोत्तम केंद्र के रूप में विकसित होगा.

कुलपति ने स्वागत भाषण में बताई विवि की पीड़ा

130 महाविद्यालयों वाले जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह ने बलिया को क्रांतिकारियों और विद्वानों की भूमि बताते हुए कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल का स्वागत किया.

 

अपने स्वागत संबोधन में कुलपति ने हाल ही में विवि के जलप्लावन और अन्य समस्याओं पर राज्यपाल का ध्यान दिलाया. कुलाधिपति ने स्मारिका मंथन का विमोचन भी किया. इसके बाद कुलपति ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्य अतिथि प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया. संचालन डॉ. निशा राघव ने किया.

 

कुलपति और मेधावियों के बीच हुई प्रश्नोत्तरी

जेएनसीयू के कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह और सभागार में उपस्थित मेधावियों के बीच प्रश्नोत्तरी का दौर भी चला. इस खूबसूरत लमहे को कुलाधिपति ध्यान से देख रहीं थीं. मेधावियों ने भी अपने ज्ञान और वाक्पटुता से अतिथियों का दिल जीत लिया.

 

वहीं, उपाधि प्राप्त करने के लिए आए मेधावी छात्र-छात्राओं के सिर पर पीली पगड़ी खूब फब रही थी. ऐसा लगता था मानो पूरा सभागार वसंतोत्सव मना रहा हो.

4035 को मिली उपाधि, इसमें 2682 छात्राएं

 

बहुद्देश्यीय सभागार में हुए जननायक चन्द्रशेखर यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह में 4035 विद्यार्थियों को उपाधि दी गई. इसमें 1353 छात्र व 2682 छात्राएं हैं. वहीं 27 मेधावियों को गोल्ड मेडल दिया गया, जिनमें सर्वाधिक 24 छात्राएं शामिल थीं. राज्यपाल ने सभी छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना की.

 

स्वर्ण पदक पाने वाले मेधावी, बेटियों का दबदबा

जेएनसीयू के पहले दीक्षांत समारोह में 27 मेधावियों को स्वर्ण पदक मिला. इसमें एमकॉम में नूर अफ्सां, एमएड में बिन्दू कुमारी, एमए प्राचीन इतिहास में प्रीति यादव, एमए अर्थशास्त्र में ज्योति गुप्ता, एमए शिक्षाशास्त्र में रेश्मा परवीन, एमए अंग्रेजी में पूजा वर्मा, एमए हिंदी में निधि पटेल, एमए भूगोल में सुगंती शर्मा, एमए मध्यकालीन इतिहास में सुंदरम सोनी, एमए गृह विज्ञान में शिवानी राय, एमए गृह विज्ञान (मानव विकास) में सीमा चक्रवर्ती, एमए सैन्यविज्ञान में आकांक्षा सिंह, एमए राजनीतिविज्ञान में प्रगति तिवारी, एमए मनोविज्ञान में मधु, एमए संस्कृत में मनीष तिवारी, एमए समाजशास्त्र में स्नेहलता, एमए उर्दू में फौजिया खातून, एमएससी बायो टेक्नालॉजी में दिव्यानी भारद्वाज, एमएससी वनस्पतिविज्ञान में रश्मि चैधरी, एमएससी रसायन विज्ञान में प्रियंका यादव, एमएससी गणित में मधु तिवारी, एमएससी जन्तु विज्ञान में मुन्ना यादव, एमएससी कृषि अर्थशास्त्र में मनीषा सिंह, एमएससी कृषि रसायन व मृदा विज्ञान में दीपिका मौर्य, एमएससी अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन में अंकुर सिंह, बीएड में पूजा गुप्ता, बीपीएड में बैजनाथ कुमार को स्वर्ण पदक मिला.