जीवन का अक्स सामने लाना ही फिल्म का मकसद : संजय सिंह

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  • होली के आसपास रिलीज हो जाएगी हिंदी फीचर फिल्म ‘मेहू’

बैरिया : परिवार और समाज में व्याप्त अव्यवस्था, कुप्रथा, शोषण और व्यक्ति के दैनिक जीवन का अक्स समाज के सामने लाना ही फिल्म जगत का मुख्य उद्देश्य होता है. किसी विषय या समस्या के समाधान या प्रेरक सिद्धांतों को आत्मसात करना या न करना, समाज के लोग तय करते हैं.

ये शब्द हिंदी फिल्म के निर्देशक संजय सिंह के है, जो कुशीनगर पड़रौना में हिंदी फीचर फिल्म ‘मेहू’ की दो चरणों में शूटिंग पूरा होने के बाद अपने पैतृक गांव कर्णछपरा (बलिया) आए हुए हैं. उन्होंने कहा कि आज फिल्म जगत में भोजपुरी सिनेमा और कलाकारों का वर्चस्व काफी बढ़ा. गांव के युवा भी इस क्षेत्र में अपना करियर का चुनाव कर सकते हैं.

सिंह ने बताया कि वह दो दशक पहले दिल्ली से एडिटर के रूप में अपना करियर शुरू किया. अब लेखक और निर्देशक के रूप में सक्रिय हैं. उन्होंने़ बताया कि अपने करियर के शुरू के दौर में इंडिया टीवी, जनसंदेश, लहरें और लेमन के अलावा कई ऐसे संस्थानों और इलेक्ट्रानिक मीडिया में कार्यरत रहे.

इस दौरान उनका संपर्क ‘काइंड फिल्म’ से हुआ जहां उन्होंने कई शॉर्ट फिल्में और डॉक्यूमेंट्रीज का लेखन और निर्देशन किया. संजय सिंह निर्देशित शार्ट फिल्मों में ‘आसरा’ , ‘खुशबू’ , ‘स्टेप ऑन’, ‘कैसी-कैसी वफा’ और ससुर की कार’ के साथ-साथ एक भोजपुरी ‘नजरिया काहे के लड़वल'(2006) शामिल हैं. ये काफी लोकप्रिय भी रहीं.

‘मेहू’ संजय के निर्देशन में बनने वाली पहली हिंदी फिल्म है जिसके निर्माता पवन लाहोटी और लेखिक दिल्ली में रहने वाली बलिया जिले के ही सोनबरसा गांव निवासी सत्या दूबे हैं.

हिंदी फिल्म ‘मेहू’ के बारे में संजय सिंह ने बताया कि यह महात्मा बुद्ध के ज्ञान पर प्रकाश डालने वाली फिल्म है, जो आज के युवाओं के लिए विशेष प्रेरणादायी है. उन्होंने बताया कि यह फिल्म होली के आसपास रिलीज हो जाएगी.