घोषित राहत से दूर हैं बाढ़ पीड़ित

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बैरिया: दुबेछपरा में वर्ष 2017 में रिंग बंधा बनाने की मांग को लेकर निर्मित मानव श्रृंखला के एक चौथाई के बराबर बंधा कट गया है. मानव श्रृंखला की लंबाई की दोगुनी लंबाई में रामगढ़ से पांडेपुर ढाला तक एनएच पर बाढ़ृ-कटान पीड़ित ने आश्रय लिया है.उदईछपरा के रविरंजन, राम परसन सिंह, प्रेम उपाध्याय, भरत उपाध्याय, शत्रुघ्न उपाध्याय, नागा उपाध्याय, बासुदेव उपाध्याय के घर गिरे हैं.

इस बीच 18-19 सितंबर की दरमियानी रात गंगा में पानी बढ़ गया. उदई छपरा में बड़े बाबू के टोला में करीब आधा दर्जन मकान डूब गए. प्रसाद छपरा, बुधन चक सहित करीब एक दर्जन गांवों में रातों-रात पानी भर गया. लोग परिवार और पशुओं के साथ बंधे पर आ गए. बाढ़ का पानी अब बैरिया संसार टोला तटबंध (बिड़ला बांध और एनएच-31 के करीब पहुंच चुका है.

रामगढ़ से टेंगरहीं ढाला के बीच गंगा नदी और एनएच-31 के बीच बसे गांव और खेत जलमग्न हो गए हैं. हर और अफरा-तफरी मची है. रात में जिन गांवों में पानी घुसा वहां नाव की व्यवस्था नहीं हो सकी थी.

रही राहत सामग्री बांटने की बात तो यह दुबेछपरा बंधे तक ही सिमट कर रह गयी है. जिला प्रशासन द्वारा 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 2 किलो भुना चना, 2 किलो दाल, आधा किलो नमक, 250 ग्राम हल्दी, 250 ग्राम मिर्च, 250 ग्राम धनिया, एक एक मोमबत्ती और माचिस की पैकेट, 10 पैकेट बिस्कुट, 1 लीटर रिफाइन तेल दुबेछपरा बंधे पर शरण लिए 500 लोगों और केहरपुर के 500 बाढ़ पीड़ितों में बंटवाया गया.

बाढ़ राहत सामग्री 2019 लिखे पैकेट पर दर्ज गत्ते से बाहर 10 किलो आलू और पांच किलो लाई पीड़ितों को नहीं बांटे गये. बाढ़ से प्रभावित दुबेछपरा, उदई छपरा और गोपालपुर गांव में भीतर रुके लोगों के लिए एनडीआरएफ और पीएसी की टीम की ही सुविधा है. भोजन के लिए बंधे के पास बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह लंगर चला रहे हैं.

वहीं, डीजल न मिलने से अधिकांश खड़ी ही रहीं. दुबेछपरा में जिला प्रशासन द्वारा छोटी बड़ी कुल 22 नाव लगाई गई हैं. लेकिन बिना इंजन वाली 3 नावें ही चलती दिखीं. पूछने पर नाविक जयराम चौधरी और महेंद्र चौधरी ने बताया कि वे लोग डीजल के लिए तहसील पर गए थे लेकिन नहीं मिला.

नाविकों ने वर्ष 2013 से ही बाढ़ में काम करने के बाद भी भाड़ा बकाया होने की शिकायत की. पूछे जाने पर एसडीएम बैरिया दुष्यंत कुमार ने बताया कि डीजल की पर्ची यहीं से बंटेगी.