दुबेछपरा रिंगबन्धा गंगा में विलीन, 41 करोड़ का नुकसान

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बैरिया: दुबेछपरा रिंगबान्ध गंगा की तेज धाराओं से कट कर बह गया. दुबेछपरा रिंगबन्धा करीब तीन सौ मीटर की परिधि में गंगा की धारा में बह गया जिससे आधा दर्जन से अधिक गांवों के करीब 50 हजार से अधिक की आबादी प्रभावित हुई है. बंधा टूटने के साथ ही मोटे तौर पर अनुमान है कि करीब 35 हजार की आबादी चंद मिनटों में एनएच 31 पर आ गई है.  बिल्कुल खुले आसमान के नीचे.

 

वहीं करोड़ो रूपये की खरीफ की फसल बाढ़ में डूब गई है. दुबेछपरा, गोपालपुर, उदई छपरा, प्रसाद छपरा, बुधनचक, मिश्र गिरी के मठिया, पांडेय पुर, गुदरी सिंह के टोला, चिंतामन राय के टोला, मिश्र के हाता सहित आधा दर्जन से अधिक गांव की 50 हजार की आबादी इस कटान से बुरी तरह प्रभावित हो गई है.

जानकारी के मुताबिक वर्ष 2017-18 में दुबेछपरा, उदईछपरा व गोपालपुर को सुरक्षित करने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा 29 करोड़ के लागत से बंधे का निर्माण किया गया. उसे बचाने के लिए बाढ़ विभाग ने 12 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. क्योंकि रिंगबधे के निर्माण में भारी धांधली बाढ़ विभाग द्वारा की गई थी.

इससे पूर्व भी 2014 में 12 करोड़ की लागत से रिंगबन्धा बना था जो वर्ष 2016 की बाढ़ में बह गया. लोगों की परेशानी से बेखबर बाढ़ विभाग और प्रशासन के रिंगबन्धा पैसा कमाने का माध्यम बन चुका हैं. न तो इसकी जांच हो रही न दोषी लोग दंडित किये जा रहे है. कटान से पीड़ित लोग शासन-प्रशासन पर तरह- तरह के आरोप लगा रही है.

स्थिति यह है कि प्रभावित गांवों के लोग अपने साजोसामान और मवेशी सहित लिए गांव वाले बंधे पर शरण लिये हुए हैं. रिंगबधे के कटने के कारण गोपालपुर, उदईछपरा, दुबेछपरा में गंगा का पानी भर गया है. लोग अपने मवेशियों के साथ बंधे पर शरण लिए हुए हैं.

प्रभावित लोग परिवार के लोगों को आश्रय देने के लिए एनएच 31 के किनारे अस्थायी झुग्गी बनाने में लगे हैं. मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगरौत ने तीनों गांवो के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कह दिया है. साथ ही उन्हें हर संभव मदद देने का भरोसा भी दिया है. रिंगबन्धा के कटते ही बाढ़ विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारी भाग खड़े हुए.

उधर, रिंगबंधा कटने के बाद वहां पहुंचे बैरिया के विधायक सुरेन्द्र नाथ सिंह ने इस क्षति के लिए एक जनप्रतिनिधि होने के नाते नैतिक जिम्मेदारी लेने की बात कही. उन्होंने कहा कि प्रयास मे कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन प्रकृति के आगे कोई बस चलने वाला नहीं है. विधायक ने कहा कि अब जो लोग बंधे पर आकर आश्रय लिए है उन्हें बंधे पर कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी. उनके भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था रहेगी. उन्होंने खुद अपने स्तर से भण्डारा की व्यवस्था करने की बात कही.