छात्रों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनन्द जगाना ही शिक्षक का दायित्व

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बलिया। शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है. अत: विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंध किया जाना चाहिए. यह बातें नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय माल्देपुर, बलिया में मुख्य अतिथि के रूप में हेमचन्द्र, क्षेत्रीय संगठन मंत्री, विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश द्वारा व्यक्त किया गया.

उन्होंने कहा कि गुरु के बिना जीवन में अंधकार होता है. वहीं, हमें ज्ञान रूपी उजाले से रूबरू कराता है. गुरु द्वारा हम ईश्वर तक का साक्षात्कार कर सकते है. हम आज अगर चांद तक को लांघ चुके हैं तो सह सब उसी ज्ञान की वजह से मुमकिन हो पाया है, जो गुरु ने हमें दिया है. अपने छात्रों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनन्द जगाना एक शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण गुण है.

‘‘आचार्य एवं छात्र प्रतिभा सम्मान समारोह’’ कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथि द्वय द्वारा दीप जलाकर किया गया. अतिथि परिचय एवं स्वागत विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविन्द्र सिंह चौहान द्वारा किया गया. प्रधानाचार्य ने कहा कि भारत में गुरु शिष्य परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है. कार्यक्रम की अध्यक्षता सकलदीप राजभर, राज्यसभा सांसद, बलिया ने की. अपने उद्बोधन में कहा कि माता-पिता के बाद शिक्षक ही हमारे जीवन में अहम महत्व रखते है. इस दौरान सीबीएसई के 12वी एवं 10 वी में विद्यालय में उच्चतम अंक पाने वाले भैयाओं को सम्मानित किया गया. इसके पश्चात आचार्य एवं कर्मचारी को भी अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर विद्या भारती, गोरक्ष प्रांत के मंत्री अक्षय ठाकुर, विद्यालय के अध्यक्ष जगदीश सिंह एवं आभार प्रकट विद्यालय के प्रबंधक डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव तथा संचालन मनोज अस्थाना द्वारा किया गया. इस कार्यक्रम में कन्हैया चौबे, जयप्रकाश नरायण सिंह, अवधेश सिंह काका, सूर्य विक्रम सिंह, उमा सिंह, बजरंग, परमेश्वर पांडेय, उमेश जी, नागेन्द्र सिंह, रामजी सिंह, ओमप्रकाश मिश्र आदि सभी आचार्य बन्धु उपस्थित रहे.