तगड़ी ट्रैफिक पेनाल्टी के बाद यूपी में अब बिजली बिल का झटका

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लखनऊ। घर की बिजली हुई 15% महंगी, फिक्‍स चार्ज भी 25 प्रतिशत बढ़ा. यूपी की योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने बिजली के रेट में जबरदस्‍त बढ़ोतरी की है. शहरों में घर की बिजली के रेट में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है जबकि इंडस्‍ट्रीज में 10 फीसदी का इजाफा किया है. इससे सभी श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा. घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें अधिकतम 60 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ाई गई हैं. किसानों की भी बिजली 15 फीसदी महंगी हो गई है जबकि औद्यौगिक उपभोक्ताओं की दरें घरेलू उपभोक्ता की तुलना से कहीं कम बढ़ाई गई हैं.

यूपी की योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने बिजली के रेट में जबरदस्‍त बढ़ोतरी की है. शहरों में घर की बिजली के रेट में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है जबकि इंडस्‍ट्रीज में 10 फीसदी का इजाफा किया है. गांवों में बिजली के रेट में छेड़छाड़ नहीं की गई है लेकिन फिक्स चार्ज 400 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए महीना किया गया है.

सरकार ने अगस्‍त में ही बिजली कनेक्‍शन के रेट बढ़ाए थे. इसके तहत दो किलोवाट के कनेक्‍शन का चार्ज 2105 रुपए से बढ़ाकर 2217 रुपए कर दिया गया था. प्रोसेसिंग फीस के साथ मीटर और लाइन चार्ज पर भी GST लगेगा. यह रेट 18% होगा.

1 किलोवाट कनेक्‍शन 1858 रुपए

इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी बोर्ड के मुताबिक बिजली की बढ़ी दरें तुरंत लागू हो गई हैं. अब 1 किलोवाट कनेक्‍शन के लिए कुल 1858 रुपए खर्च करने होंगे. वहीं 5 किलोवाट कनेक्‍शन के लिए 7968 रुपए लगेंगे.
गांवों के लिए अलग रेट

गांवों में 1 किलोवाट कनेक्‍शन का रेट 1365 रुपए कर दिया गया है. जबकि 5 किलोवाट कनेक्‍शन का रेट शहर के बराबर ही है. यानि 7968 रुपए.

प्रोसेसिंग फीस नहीं बदली

अधिकारी के मुताबिक डोमेस्टिक, ग्रामीण, किसान और छोटे बिजली ग्राहकों की सिक्‍योरिटी और प्रोसेसिंग फीस में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

शादी-ब्याह में कनेक्शन लेना महंगा
भवन निर्माण-शादी विवाह आदि के लिए अस्थायी कनेक्शन लेना अब पहले से 500 से 700 रुपये तक महंगा हो गया. प्रति यूनिट बिजली दरें 50 पैसे तक बढ़ गई हैं. पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों की टैरिफ दरों में बढ़ोत्तरी नहीं की गई है. यह पहले की तरह 7.70 रुपये प्रति यूनिट ही लागू रहेगी। नगर निकायों-पंचायतों के ट्यूबबेल आदि की दरें भी बढ़ा दी गई हैं.

लागत बढ़ने के कारण बढ़ाई गईं दरें
नियामक आयोग ने कहा कि बिजली कंपनियों के व्यय और लागत में बढ़ोत्तरी हुई है और राजस्व में कमी आई है. वितरण कंपनियों ने राजस्व में अंतर 8337 करोड़ रुपये का दिखाया था लेकिन आयोग ने इसे मात्र 3593 करोड़ रुपये ही माना है. इसी आधार पर टैरिफ का आंकलन किया गया है। नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं को 4.9 फीसदी रेगुलेटरी सरचार्ज से छुटकारा देते हुए इसको पूरी तरह खत्म कर दिया है. आयोग ने मार्च 2020 तक 31.14 लाख अनमीटर्ड बिजली उपभोक्ताओं में से नौ लाख के यहां मीटर लगाने के निर्देश दिए हैं. बाकी बचे अनमीटर्ड के यहां भी वित्तीय वर्ष 2020-21 तक मीटर लगाना अनिवार्य कर दिया है.