दवा से ज्यादा फायदा पहुंचाती है फिजियोथेरेपी : डॉ राजीव कुमार सिंह

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मुंबई। अधिकांश लोग फिजियोथेरेपी को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से ज्यादा महत्व नहीं देते, लेकिन वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता बेहद महत्‍वपूर्ण हो गई है. मानसिक तनाव, घुटनों, पीठ या कमर में दर्द जैसे कई रोगों से बचने या निपटने के लिए बिना दवा या चीरा के फिजियोथेरेपी एक असरदार तरीका है. इस बारे में गोविंदा, अरबाज खान, सैफ अली खान, अमन वर्मा, प्राण, आदित्य पंचोली सहित तमाम बॉलीवुड हस्तियों का इलाज कर चुके साईं फिजियोथेरेपिस्ट डॉ राजीव कुमार सिंह ने बताया कि फिजियोथेरेपी यूं तो आधुनिक चिकित्सा पद्धति मानी जाती है, लेकिन भारत में सदियों से चले आ रहे मालिश व कसरत के नुस्खे का ही यह मिला-जुला रूप है. फिजियोथेरेपी न केवल कम खर्चीला होता है, बल्कि इसके दुष्प्रभाव की आशंका न के बराबर होती है.

डॉ राजीव ने बताया कि प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा व्यायाम के जरिए शरीर की मांसपेशियों को सही अनुपात में सक्रिय करने की विधा फिजियोथेरेपी कहलाती है. घंटों लगातार कुर्सी पर वक्त बिताने, गलत मुद्रा में बैठने और व्यायाम या खेल के दौरान अंदरूनी खिंचाव या जख्मों की हीलिंग के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की सेवा लेने की सलाह खुद चिकित्सक भी देते हैं. भाग दौड़ भरी इस जिंदगी में इन दिनों रोगी के साथ – साथ स्वस्थ्य लोग भी चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह ले सकते हैं. मौजूदा समय में स्मार्ट और सिंपल हेल्थ सॉल्यूशन के लिए फिजियोथेरेपी काफी लोकप्रिय हुई है.

उन्‍होंने कहा कि अगर आप चाहते हैं कि आपको फिजियोथेरेपी का लंबे समय तक फायदा मिले तो इसके सभी सत्र पूरे किए जाने जरूरी हैं. फिजियोथेरेपी शुरू करने से पहले उसकी अवधि की जानकारी ले लेनी चाहिए. अधिकांश लोग फिजियोथेरेपी के दायरे को मसाज तक सीमित कर देते हैं, तो कुछ इसे खेल के दौरान लगने वाली चोट को ठीक करने के लिए उपयोगी मानते हैं. पर फिजियोथेरेपी की उपयोगिता इससे कहीं ज्यादा है. अगर दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते हैं तो फिजियोथेरेपी के बारे में सोचना चाहिए.

डॉ राजीव ने बताया कि फिजियोथेरेपी में न्यूरोलॉजी, हड्डी, हृदय, बच्चों व वृद्धों की समस्याओं के क्षेत्र से जुड़े खास एक्सपर्ट भी होते हैं. आमतौर पर फिजियोथेरेपिस्ट इलाज शुरू करने से पहले बीमारी का पूरा इतिहास देखते हैं. उसी के अनुसार आधुनिक इलेक्ट्रोथेरेपी (जिसमें इलाज के लिए करेंट का इस्तेमाल किया जाता है) और स्ट्रेचिंग व व्यायाम की विधि अपनाई जाती है. मांसपेशियों और जोड में के दर्द से राहत के लिए फिजियोथेरेपिस्ट मसाज का भी सहारा लेते हैं. कई फिजियोथेरेपिस्ट दवाएं व इंजेक्शन भी देते हैं, जिसे डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए.

उन्‍होंने बताया कि फिजियोथेरेपी से कुछ दर्द में तो तुरंत आराम मिलता है, पर स्थायी परिणाम के लिए थोड़ा वक्त लग जाता है. दर्द निवारक दवाओं की तरह इससे कुछ ही घंटों में असर नहीं दिखाई देता. खासकर फ्रोजन शोल्डर, कमर व पीठ दर्द के मामलों में कई सिटिंग्स लेनी पड़ सकती हैं. कई मामलों में व्यायाम भी करना पड़ता है और जीवनशैली में बदलाव भी. फिजियोथेरेपी का दायरा सिर्फ मांसपेशियों और हड्डियों तक सीमित नहीं है. इसकी सीमा में वो तंत्रिकाएं भी आती हैं, जो हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को नियंत्रित करती हैं. उदाहरण के तौर पर अस्थमा या किसी भी तरह के सांस के रोगों को ही लें. कार्डियोवस्कुलर फिजियोथेरेपिस्ट इस तरह के मरीजों को सांस रोकने और छोड़ने वाले व्यायाम या गुब्बारे फुलाने जैसे अभ्यास के जरिये ठीक करता है. वास्तव में इसके जरिये कार्डियोवस्कुलर फिजियोथेरेपिस्ट गर्दन और छाती की मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग करवाते हैं, जिससे वो और मजबूत बनते हैं.

डॉ राजीव की मानें तो बैठने, खड़े होने या चलने के खराब पॉस्चर की वजह से या मांसपेशियों में खिंचाव के कारण या फिर आथ्र्राइटिस की वजह से कमर व पीठ में दर्द बढ़ जाता है. पीठ दर्द के इलाज के लिए फिजियोथेरेपी में कुछ सामान्य तरीके आजमाए जाते हैं. उन्‍होंने कहा कि प्रेग्नेंसी या किसी सर्जरी के बाद कई लोगों को पेल्विक (पेट के नीचे का हिस्सा) में दर्द रहने लगता है. कुछ लोगों को इसमें ऐंठन भी महसूस होती है. दरअसल, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चे के जन्म के बाद या सर्जरी के बाद यहां की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं. पेल्विक यौन क्रियाओं के अलावा आंत से जुड़ी गतिविधियों के लिए भी महत्वपूर्ण है. यही नहीं, यह हमारी रीढ़ की हड्डी और पेट के विभिन्न अंगों को भी सपोर्ट करता है.