बलिया के बृज मोहन प्रसाद ‘अनारी’ को भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

लखनऊ। बलिया और भोजपुरी दोनों के लिए यह गौरव का क्षण है. भोजपुरी को नई ऊंचाई प्रदान करने वाली पुस्तक ‘गुलरी के फूल’ के लिए बेरूआरबारी पूर्व माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक बृज मोहन प्रसाद ‘अनारी’ को एक लाख रुपये के भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान से नवाजा गया. भोजपुरी साहित्य में शानदार योगदान के लिए अनारी को प्रदेश के सीएम महंत आदित्यनाथ योगी ने भिखारी ठाकुर पुरस्कार से सम्मानित किया.

इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वार्थ पर आधारित और राष्ट्रीय मूल्यों के अभाव वाला साहित्य खतरनाक है, जो समाज को पतन की ओर ले जाता है. हिन्दी और लोकभाषाएं एक दूसरे की विरोधी नहीं, बल्कि सहयोगी हैं. लोक साहित्य से हिन्दी समृद्धि होने के साथ ही शक्ति भी प्राप्त करती है. सीएम यह बात रविवार को अपने कालीदास मार्ग स्थित आवास पर हिन्दुस्तानी एकेडमी के पुरस्कार वितरण समारोह में कही. इस दौरान उन्होंने कहा कि मध्यकाल में जब देश घोर गुलामी के कालखंड में जी रहा था, तब संत तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना कर समाज के मन में एक नया भाव जागृत किया था. रामचरित मानस की रचना नहीं होती, तो गांव-गांव में रामलीला का आयोजन नहीं हो पाता. मध्यकालीन संतों ने साहित्य के मर्म को समझते हुए स्थानीय भाषा के अपने साहित्य के माध्यम से लोगों को जाग्रत कर एक राष्ट्रीय आंदोलन खड़ा करने में बड़ी भूमिका निभाई थी.

उत्तर प्रदेश सरकार के भाषा संस्थान की ओर से संचालित प्रयागराज की सबसे पुरानी साहित्यिक संस्था हिदुस्तान एकेडमी ने 22 साल बाद एक बार फिर इस वर्ष साहित्यकारों व रचनाकारों को सम्मानित करने का निर्णय लिया. इसी क्रम में भोजपुरी के लब्ध प्रतिष्ठित गीतकार बृज मोहन प्रसाद अनारी को भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान दिया गया. इसके पहले भी अनारी को प्रदेश सरकार के हिदी संस्थान द्वारा भिखारी ठाकुर सर्जना व राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है. हिदुस्तान एकेडमी के अध्यक्ष साहित्यकार उदय प्रताप सिंह के अनुसार एकेडमी का पहला पुरस्कार सन 1927-28 में प्रेमचंद को व 1997 में नामवर सिंह को यह पुरस्कार प्रदान किया गया था. 1997 के बाद एकेडमी ने साहित्यकारों को सम्मानित करना बंद कर दिया था.

बलिया के कुम्हिया गांव (भरखरा) निवासी बृज मोहन प्रसाद ‘अनारी’ बाबू केदारनाथ प्रसाद व जगेश्वरी देवी के सुपुत्र हैं. अनारी ने सात पुस्तकें लिखी हैं. इनका भोजपुरी गीत संग्रह जिनगी के थाती, आसरा के दियना, सितुही में मोती, गुलरी के फूल हैं. गजल संग्रह में अंखीयन के लोर है. धरम के धजा महाकाव्य, राजा यह सत्य प्रेमी हरीश्चन्द्र की कथा है, जिसे उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान ने प्रकाशित करवाया है. इनकी इन कृतियों पर प्रदेश सरकार ने भिखारी ठाकुर सर्जना एवं राहुल सांकृत्यायन सम्मान दिया है. विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार से विद्या वाचस्पति मानद उपाधि मिल चुकी है. यही नहीं, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा से बृजमोहन प्रसाद अनारी व्यक्तित्व व कृतित्व विषयक दो शोध भी हो चुके हैं.

इस मौके पर अनारी के अलावा डॉ. अर्जुन प्रताप सिंह को गोरक्षनाथ और नाथ सिद्ध के साहित्य के लिए 5 लाख का गुरु गोरक्षनाथ शिखर सम्मान, डॉ. सभापति मिश्र को उनकी पुस्तक रघुनाथ गाथा के लिए ढाई लाख का गोस्वामी तुलसीदास सम्मान, डॉ. रामबोध पाण्डेय को उनकी पुस्तक वतन के लिए 2 लाख का भारतेन्दु हरिश्चंद्र सम्मान, प्रोफेसर योगेन्द्र प्रताप सिंह को 2 लाख का आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान मिला, डॉ. सरोज सिंह को एक लाख का महादेवी वर्मा सम्मान, शैलेन्द्र मधुर को उनकी पुस्तक ‘हम भी हैं अदालत में’ के लिए एक लाख का फिराख गोरखपुरी सम्मान, डॉ. आद्या प्रसाद सिंह ‘प्रदीप’ को उनकी पुस्तक ‘तुलसी अवधी महाकाव्य’ के लिए एक लाख का बनादास अवधी सम्मान, डॉ. ओकांरनाथ द्विवेदी को उनकी पुस्तक ‘छंद कलश’ के लिए एक लाख का कुम्भनदास ब्रजभाषा सम्मान, लखनऊ के एडीएम ट्रांस गोमती विश्वभूषण को उनकी पुस्तक ‘मैंने अनुभव से सीखा है’ कि लिए युवा सम्मान दिया गया.