द्वाबा में बेपटरी है उच्च शिक्षा की बुनियाद, नामांकन केन्द्र बन कर रह गए इण्टर कालेज

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एक दशक से शिक्षक अवकाश ग्रहण करते रहे, अधियाचन भेजा जाता रहा, नहीं हुई नई नियुक्ति

विज्ञान वर्ग की बात छोड़ें, ससहित्य वर्ग भी ठनठन गोपाल

प्रयोगशालाओं का पट खुले दशक बीते

बैरिया(बलिया)। विधानसभा क्षेत्र की उच्च शिक्षा की बुनियाद एक दशक से भी अधिक समय से बेपटरी हो गई है. यहां विज्ञान वर्ग की बात छोड़ें साहित्य वर्ग में भी शिक्षकों का भी टोंटा है. इन विद्यालयों में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं नाम लिखवाते हैं. परन्तु कक्षाएं नहीं चलती. प्रयोगशालाओं के पट नहीं खुलते. पूछे जाने पर यहाँ के प्रधानाध्यापक बस इतना ही कहते हैं, यह पद कांटों का ताज है. अधियाचन समय से भेजा जाता है. नियुक्ति नहीं हो रही तो हम क्या करें?
प्रदेश सरकार ने कड़ाई से नकल रोक दिया. लोगों ने इस निर्णय का स्वागत किया. उम्मीद थी कि पठन-पाठन का माहौल बनेगा. पर धरातल पर शिक्षकों का अभाव बना हुआ है. विद्यालयों में पठन-पाठन न होने से बच्चे स्वाध्याय अथवा कोचिग सेंटरों की मदद ले रहे हैं. कालेजों में पठन-पाठन व प्रयोगशाला की कोई व्यवस्था नहीं है.
कभी-कभी के समय में विज्ञान वर्ग की पढाई में अपना डंका बजाने वाले तीन इण्टर कालेजों हाल बेहाल है. इन विद्यालयों ने बेशुमार शिक्षक, प्रवक्ता, पत्रकार, सम्पादक, इंजीनियर, डाक्टर व प्रथम श्रेणी के अधिकारी दिए हैं.जो देश विदेश में इलाके व विद्यालय को गौरव बढ़ा रहे हैं.
उनकी हालात पर नजर फरमाएं.

पूर्णानंद इंटर कालेज दुबेछपरा

इस विद्यालय में इण्टरमीडिएट में लगभग तीन हजार व हाईस्कूल में लगभग 3500 छात्रों का नामांकन होता है. यहां 18 विषय विशेषज्ञ प्रवक्ता व 28 एलटी शिक्षकों का पद सृजित है. साहित्यिक वर्ग में 8, कॉमर्स में दो तथा विज्ञान वर्ग के चार विषयों के लिए आठ, संस्कृति व अंग्रेजी विषयों के दो दो पद स्वीकृत है. साहित्य वर्ग के सिर्फ एक समाजशास्त्र, कॉमर्स के एक, भौतिक, रसायन, जीव विज्ञान और गणित के दो दो के स्थान पर एक एक प्रवक्ता तैनात है. हिन्दी, संस्कृत तथा अंग्रेजी विषयों में कोई शिक्षक नहीं.
हाई स्कूल के लिए 28 शिक्षकों के सापेक्ष बमुश्किल आठ शिक्षक ही बचे है. पठन-पाठन कैसा होगा अंदाजा लगाया जा सकता है.

बाबा लक्ष्मण दास द्वाबा राष्ट्रीय इण्टर कालेज बैरिया

द्वाबा के कैंब्रिज नाम से पहचान बनाने वाला इंटर कालेज बैरिया के पहचान व अस्तीत्व के नाम पर ही संकट है. यहां इण्टरमीडिएट में 24 शिक्षकों के सापेक्ष सिर्फ़ अंग्रेजी विषय के एक जिनके जिम्मे प्रधानाचार्य का भी प्रभार है तथा कॉमर्स के दो प्रवक्ता तैनात है. शेष साहित्य व विज्ञान वर्ग साफ है, कोई प्रवक्ता नहीं हैं. सब रिटायर हो गए. नए आए नहीं. जबकि इण्टरमीडिएट में लगभग दो हजार छात्रों का नामांकन होता है. लगभग 1700 छात्र विज्ञान वर्ग में ही नामांकन कराते है. हाई स्कूल में लगभग 2000 छात्रों का नामांकन होता है. यहां खेल, विज्ञान, कला, सामाजिक विज्ञान तथा संस्कृत के एक एक शिक्षक अभी बचे है.

श्री सुदिष्ट बाबा इंका सुदिष्टपुरी

द्वाबा के मालवीय के नाम से विख्यात पूर्व विधायक स्व मैनेजर सिंह ने बड़ी उम्मीद से यहाँ इस विद्यालय की स्थापना कराई. यहां हाई स्कूल व इण्टरमीडिएट कुल मिला कर 42 शिक्षकों का पद सृजित है. इण्टरमीडिएट में लगभग 800 व हाईस्कूल में 1200 छात्रों का नामांकन होता है. इण्टरमीडिएट में विज्ञान वर्ग के भौतिक, रसायन, गणित, अंग्रेजी विषयों के लिए कोई प्रवक्ता नही है. एक मात्र भूगोल व इतिहास विषय के एक कुल दो प्रवक्ता है. हाई स्कूल में मात्र दो खेल व एक कला शिक्षक तैनात है.

सम्प्रति यह तीनों विद्यालय बानगी भर हैं. कमोबेश यही हालात यहां के सभी सरकारी इण्टरमीडिएट कालेजों का है. प्रबुद्ध वर्ग यह सवाल खड़ा कर रहा है कि बैरिया के विधायक सुरेन्द्र सिंह खुद एक शिक्षक है. विधानसभा के उच्च शिक्षा की बुनियाद इण्टरमीडिएट कालेजों के शैक्षिक माहौल के सुधार के प्रति उनका आज तक सार्थक पहल सुनने देखने में नहीं आया.
क्या विधानसभा क्षेत्र के शिक्षा के गुणवत्ता पूर्ण सुधार में हमारे जनप्रतिनिधि कुछ करेंगे, या फिर प्रबंधक बनने के षडयंत्रों में ही रत रहेंगे?