बेरोजगारी और पलायन के दंश को दिखाती फिल्म ‘परदेस’ जल्द होगी रिलीज

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पटना। देशभर में बिहार और बिहारी की दोहरी पहचान है. एक पहचान बिहार के मुठ्ठीभर लोगों को तारीफ में कसीदे पढ़ता है, तो दूसरी पहचान बिहार को बीमारू बनाता है. इसकी वजह यहां की बेरोजगारी और पलायन है, जिस वजह से बहुसंख्यरक बिहार के लोग भारत के विभिन्नह विकसित राज्योंे में जाकर मजदूरी कर अपना जीवन चलाते हैं. इसमें पढ़े लिखे लोग भी होते हैं. यह किसी दंश से कम नहीं है, जिसको अब सिनेमा के माध्यैम से बड़े पर्दे पर लेकर आ रहे हैं पदम गुरूंग. फिल्म का नाम ‘परदेस’ है, जिसकी कहानी एक शिक्षित युवा बिहारी की है, जो शिक्षित होने के बाद भी बेरोजगार है और वह अपने परिवार के अच्छे भविष्यक के लिए ‘परदेस’ जाता है.
विनोद रजोरिया प्रस्तुअत, अभिनव आर्टस और मोहित गुप्ताए फिल्मस प्रोडक्शैन की फिल्मष ‘परदेस’ का ट्रेलर जारी कर दिया गया है, जिसमें फिल्म् की एक झलक बताती है कि ‘परदेस’ विशुद्ध रूप से बिहार की फिल्म है. यह फिल्मज जल्दस ही सिनेमाघरों में होगी. उससे पहले फिल्मु के निर्माता शाहिद शम्सस और मुकेश कुमार गुप्ताय ने बताया कि आज दूसरे राज्यों में बिहारियों पर हो रहे अत्याुचार की वजह बिहार के राजनेता और ब्यू‍रोक्रेट्स हैं, जिन्होंनने सिर्फ अपनी उन्नति के बारे में सोचा और बिहार की माटी को भूल गए. हमारी फिल्मे ‘परदेस’ ऐसी ही विषय पर आधारित है, जिसमें सामाजिक और पारिवारिक मूल्योंऔ का ख्यािल बखूबी रखा गया है.
उन्होंने बताया कि साल 2017 में सिवान के कला निकेतन के साथ मिलकर हमारी संस्था ने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया था, जिसके प्रतियोगियों को हमने फिल्मक में काम करने का मौका देने की बात कही थी. आज हमारी टीम ने इस वादे को पूरा कर सिवान के कलाकारों के साथ फिल्म ‘परदेस’ बनाई है. फिल्म की शूटिंग मनाली, मुंबई, दिल्लीा,बिहार में हुई है. इसलिए हम अपने बिहार के दर्शकों से खास अपील करते हैं कि ‍फिल्म ‘परदेस’ को वे सिनेमाघरों में जाकर देखे.
आपको बता दें कि फिल्मा ‘परदेस’ के निर्देशक और कोरियोग्राफर पदम गुरूंग, एसोसिएट डारेक्टार कमल नारायण और कार्यकारी निर्माता सुरेश प्रसाद व राजन यादव हैं. फिल्मग में गीत विनय बिहारी, के सी भूषण और अविनाश पांडे फतेहपुरिया का है, जबकि संगीतकार व लेखक विनय बिहारी हैं. पीआरओ रंजन सिन्हान हैं. डीओपी प्रवेश का है और संकलन अमित ठाकुर ने किया है.