सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं: धुरूप सिंह 

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

दुबहड़(बलिया)। परहित जिनके मन माही, तिनके जग दुर्लभ कछु नाहीं… तुलसीदास के इस पंक्ति का आधार बनाकर लोगों की सेवा में उतरे क्षेत्र के शिवपुर दीयर नई बस्ती ब्यासी निवासी समाजसेवी धुरूप सिंह अपने गांव तथा क्षेत्र के अस्वस्थ्य एवं निराश्रित लोगों कि सेवा करने का बीड़ा उठाया है. प्रतिदिन अपने गांव से दर्जनों लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण एवं इलाज कराने जिला चिकित्सालय का चक्कर काटते रहते है, जिससे इनको बहुत आत्मिक संतुष्टि मिलती है.
इस संदर्भ में बताते हैं कि ईश्वर ने जब हम को पूर्ण रूप से स्वस्थ रखा है, तो नैतिक आधार पर उन्होंने हमारी कुछ जिम्मेदारियां भी तय कर रखी है. इसलिए समाज के असहाय लोगों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है. चाहे वह किसी जाति धर्म और क्षेत्र के हो. सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है. इस कार्य को करने से आर्थिक लाभ तो नहीं होता लेकिन आत्म संतुष्टि जरूर होती है. जिस का मूल्य नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने सभी समाज के लोगों से आग्रह किया कि अपने पूर्वजों से सीख लेते हुए त्याग बलिदान का भाव दिल में रखकर समाज के दबे कुचले एवं जरूरतमंद लोगों की सेवा की लिए दो कदम चलने का प्रयास करें, और मानव जीवन को सफल बनाएं.