आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की स्मृतियों को सहेजने की मांग के साथ डीएम से मिले ओझवलिया के ग्रामीण

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बलिया। हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य विद्वान एवं कालजयी रचनाकार आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की स्मृतियों को जीवंत व सहेजने के लिए उनके पैतृक गाँव ओझवलिया के बड़े- बुजुर्गों ने अब “आदमकद प्रतिमा व भव्य पुस्तकालय” स्थापना की मांग तेज कर दी है. आचार्य पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मारक समिति के सचिव सुशील कुमार द्विवेदी के नेतृत्व में सोमवार को ग्रामीणों ने जिलाधिकारी बलिया भवानी सिंह खंगारौत को पत्रक सौंपकर उनसे आग्रह किया कि पंडित जी को केवल किताबों के पन्नों तक सीमित न रखकर उनकी कृतियों को संग्रहालय के रूप में परिवर्तित किया जाये. जिससे भविष्य की पीढ़ी प्रेरणा ले. कहा कि पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित महान विभूति की जयंती व पुण्यतिथि मनाने के लिए जन्मभूमि ओझवलिया में आज तक कोई भी स्मृति स्थल, प्रतिमा, पुस्तकालय व वाचनालय आदि कुछ भी नहीं है. जिसका मलाल हम ग्रामवासियों एवं जनपदवासियों को सदैव रहता है. स्मारक समिति के सचिव सुशील कुमार द्विवेदी ने कहा कि सन् 1998 में तत्कालीन जिलाधिकारी नरेश कुमार के कर कमलों द्वारा प्राथमिक विद्यालय ओझवलिया के प्रांगण में आचार्य जी की मूर्ति स्थापना हेतु शिलापट्ट स्थापित कराकर अनावरण कराया गया. किन्तु 22 वर्ष बीत जाने के पश्चात भी आज तक उक्त उपेक्षित शिलापट्ट पर पंडित जी की आदमकद प्रतिमा स्थापित न होना पूरे जनपद व विद्वत समाज के लिए दूर्भाग्यपूर्ण है. जबकि राज्य सभा सांसद नीरज शेखर के चन्द्रशेखरनगर स्थित आवास ‘झोपड़ी’ पर 18 अगस्त सन् 2014 से ही आचार्य जी की मूर्ति बनकर कपड़े में लिपटी पड़ी रखी हुई है. “आखिर कब हटेगा आचार्य की बनी प्रतिमा से पर्दा” . जनप्रतिनिधि समेत जिले के हर अधिकारियों व नागरिकों का प्रयास होना चाहिए कि ‘ आचार्यश्रेष्ठ को यथोचित सम्मान मिले.
इस दौरान जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को शीघ्र ही पुस्तकालय व मूर्ति स्थापना के लिए भरोसा देते हुए एडीएम बलिया को जरूरी दिशा निर्देश दिया.