अब तो यों ही बदलता रहेगा मौसम का मिजाज: डा० गणेश

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

बलिया। अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुबेछपरा के पूर्व प्राचार्य एवं पर्यावरणविद् डा० गणेश कुमार पाठक ने बताया कि अब मौसम का मिजाज यों ही बदलता रहेगा. इस वर्ष अप्रैल माह में ही पड़ रही भीषण गर्मी एवं दिल दहलाने वाला भीषण ‘लू’ यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि आखिर इतनी भीषण गर्मी पड़ने का क्या कारण है? क्या मई – जून में अभी और भीषण गर्मी पड़ेगी?
डा० पाठक ने बताया कि यदि हम बलिया के परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह तथ्य सामने आया है कि बलिया में अप्रैल में में इतनी भयंकर गर्मी अभी तक नहीं पड़ी थी. इधर चार-पाँच दिनों के तापमान को देखें तो बलिया का तापमान पाँच दिन पूर्व 39 अंश सेण्टीग्रेट था जो इसके बाद दो दिनों तक 40 अंश सेण्टीग्रेट हो गया. 26अप्रैल को तापमान 41अंश, 27 अप्रैल को 42 अंश, 28 अप्रैल को 42.5 अंश एवं आज 29 अप्रैल को 43 अंश सेण्टीग्रेट हो गया है.

मौसम विज्ञान के अनुसार 29 अप्रैल को उच्च तापमान के मामले में बलिया का उत्तर प्रदेश में दूसरा स्थान रहा और आज भी यही स्थिति है. मौसम विज्ञान के अनुसार अभी दो -तीन दिनों तक बलिया का तापमान 43 अंश सेण्टीग्रेट बरकरार रहेगा. इसके बाद ही एक-दो अंश तापमान कम हो सकता है. अगर अप्रैल की यह स्थिति है तो मई एवं जून और भी भयावह हो सकता है.
डा० पाठक ने बताया कि न केवल बलिया में बल्कि पूरे पूर्वी उत्तर-प्रदेश में तापमान वृद्धि की यही स्थिति बनी हुई है. इसका पहला कारण तो यह दिखाई दे रहा है कि मार्च- अप्रैल में प्रति वर्ष कुछ वर्षा है जाया करती थी, किन्तु इस वर्ष बहुत कम वर्षा हुई है. जिसके चलते तापमान में वृद्धि होती गयी. बलिया सहित पूरे पूर्वी उत्तर-प्रदेश में न केवल अप्रैल माह में बल्कि पूरे गर्मी में तापमान में वृद्धि का प्रमुख कारण यह है कि इस क्षेत्र के अधिकांश जिले प्राकृतिक वनस्पति की दृष्टि से वन शून्य क्षेत्र हैं, और जो कुछ मानव द्वारा रोपित वृक्ष आवरण है वो भी दो- तीन प्रतिशत से अधिक नहीं है. जिसके चलते इन क्षेत्रों में गर्मी को अवशोषित करने का कोई दूसरा कोई विकल्प नहीं है. जिससे तामान में वृद्धि होती जा रही है. यह भी बताया कि बलिया जनपद की अधिकांश भूमि बलुई- दोमट है. बलुई मिट्टी का यह गुण होता है कि वह सूर्य की गरमी से शीघ्र ही गरम होकर पूरे वातावरण को गरम कर देता है. यही कारण है कि इस क्षेत्र में दिन में तापमान अधिक हो जाता है, जबकि रात में तापमान दिन की अपेक्षा कम हो जाता है.
बताया कि वैसे उपरोक्त तथ्य तो तापमान वृद्धि के स्थानीय कारण रहे हैं. किन्तु यदि व्यापक रूप में वास्तविक कारण देखा जाय तो न केवल इस क्षेत्र में बल्कि पूरे देश में तापमान में वृद्धि का प्रमुख कारण ” ग्लोबल वार्मिंग” है. अर्थात् पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि होना. पृथ्वी के वातावरण में हो रही यह वृद्धि ग्रीनहाउस प्रभाव, ओजोन परत में हो रहे क्षय, वन-विनाश, उद्योगों से निःसृत विषैली गैसों एवं मोटर वाहनों में हो रही निरन्तर वृद्धि से हो रही है. ग्रीनहाउस प्रभाव के चलते गैस चेम्बर का काम करने लगी है, ओजोन परत में छिद्र होने से सूर्य की पराबैगनी किरणें सीधे धरातल पर पहुँच कर पृथ्वी के वातावरण को गरम कर दे रही हैं. उद्योगों एवं मोटर वाहनों से निकला विषैला कार्बन- डाई- आक्साइड एवं अन्य विषैली गैसें वायुमण्डल को गरम कर दे रही हैं और वन-विनाश तथा आधुनिक कृषि प्रणाली से भी पृथ्वी का वायुमण्डल निरन्तर गरम होता जा रहा है. जिससे पृथ्वी के तापमान में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है. डा० पाठक ने बताया कि इस ग्लोबल वार्मिंग का दुष्प्रभाव मानव शरीर सहित कृषि उत्पादन, जीव-जन्तुओं एवं वनस्पति जगत पर भी पड़ता है. यही नहीं ग्लोबल वार्मिंग से मानसून की क्रिया भी प्रभावित होती है. जिससे कहीं अति वृष्टि होती है तो कहीं अनावृष्टि होती है. फलतः बाढ़ एवं सूखा दोनों का दंश झेलना पड़ता है. निरन्तर वर्षा में कमी होते जाने से उपजाऊ खेत भी मरूभूमि बनते जाते हैं.
डा० पाठक ने खासतौर से बलिया सहित पूरे पूर्वी उत्तर- प्रदेश के संदर्भ में कहा कि यदि इस क्षेत्र के वनावरण में वृद्धि नहीं की गयी तो इस क्षेत्र की कृषि भूमि भी अनुपजाऊ एवं ऊसर होकर मरूस्थलीकरण की तरफ अग्रसर होती जायेगी. कारण की जहाँ 33 प्रतिशत भूमि वनस्पतियों का आवरण होना चाहिए, वहाँ मात्र दो-तीन प्रतिशत भूमि पर ही वृक्षावरण है. भला ऐसी स्थिति में हम पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं. यही नहीं वृक्षावरण न होने से निरन्तर प्राकृतिक आपदाओं में भी वृद्धि होगी और उसकी भयावहता भी बढ़ती जायेगी, जिससे न केवल मानव, बल्कि सम्पूर्ण जीव- जगत का ही अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा.