कांग्रेस-सपा के झगड़े में कहीं तीसरा न उठा ले फायदा

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

बारा, कोरांव और सोरांव सीट पर विवाद तो सुलझा लेकिन तब तक हो चुकी काफी देर

इलाहाबाद से लालचंद शुक्ला

दो दिन पहले लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक साथ प्रेस कान्फ्रेन्स की. इस दौरान सपा और कांग्रेस के बड़े नेता भी मौजूद थे. सब कुछ सामान्य था. लेकिन हकीकत में प्रत्याशी और कार्यकर्ताओं के बीच सहृदयता नहीं है, गठबंधन के बावजूद या तो वे आमने- सामने हैं या दबाव में कोई उम्मीदवार चुनाव मैदान से हटता है तो वह या उसके समर्थक गठबंधन प्रत्याशी के प्रचार में भाग लेने से कतरा रहे हैं. यह दृश्य इलाहाबाद जिले के बारा, कोरांव और सोरांव विधानसभा क्षेत्र में तो साफ दिख रहा है.

बारा विधानसभा क्षेत्र कभी हेमवती नंदन बहुगुणा का गढ़ रहा है. वह यूपी के मुख्यमंत्री के साथ केंद्र में भी मंत्री रहे. वर्तमान में गठबंधन के बाद यह सीट कांग्रेस के खाते में थी. कांग्रेस ने सुरेश वर्मा को यहां से उम्मीदवार बनाया है. सपा की ओर से अजय मुन्ना ने पर्चा दाखिल कर दिया. दबाव के बाद सपा उम्मीदवार हट तो गया लेकिन तब तक नाम वापसी की तारीख बीत चुकी थी, अब ईवीएम पर तो दोनों दल के प्रत्याशियों का नाम दिखता रहेगा.

कोरांव सीट भी कांग्रेस के खाते की थी. कांग्रेस ने यहां से रामकृपाल को मैदान में उतारा. लेकिन सपा ने यहां से रामदेव को उतार दिया. फिर टकराहट पैदा हो गई. सपा ने अपना उम्मीदवार जब हटाया तब तक काफी देर हो चुकी थी और हालात बारा वाली हो गई. सोरांव विधानसभा सीट सपा के खाते में थी. सपा ने सत्यवीर मुन्ना को यहां से उम्मीदवार बनाया, लेकिन यहां कांग्रेस ने जवाहर दिनकर के रूप में अपना उम्मीदवार उतार दिया. बाद में प्रत्याशी तो हट गए लेकिन ईवीएम से नाम नहीं हट सका. ऐसा न हो कि दो के झगड़े में तीसरा बाजी मार ले जाये.

Read These:

Follow Us On :

  • https://www.facebook.com/BalliaLIVE/
  • https://twitter.com/ballialive_