बैंककर्मियों की बदसलूकी से आजिज आ चुके हैं सिताबदियारा के ग्रामीण

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सिताबदियारा में बैंक कर्मचारियों की दबंगई का नहीं है कोई इलाज

बैंक प्रांगण में हर दिन होता है, रुपयों के लेन-देन में हंगामा

ग्राहकों से सीधी मुंह बात तक नहीं करते बैंक के कर्मचारी

महिलाओं से भी करते हैं, अशोभनीय भाषा का प्रयोग

सिताबदियारा से लवकुश सिंह

सिताबदियारा में लगभग 50 हजार की अबादी के लिए स्‍थापित है इलाहाबाद बैंक. यहां शायद ही कोई ऐसा दिन हो, जिस दिन बिना हंगामें के कोई लेन-देन संपन्न हुआ हो. नोटबंदी के पहले भी और बाद में भी, एक सा ही माहौल है. ऊपर से बैंक कर्मियों की भाषा ऐसी, मानों वह सभी खुद के पाकेट से पैसा बांट रहे हों. इस बैंक शाखा में हर दिन तू-तू मैं-मैं की स्थिति है.

अपने रुपयों की निकासी के लिए पहुंचे सभी खाताधारी तब भड़क उठे, जब उन्‍हें पांचवे दिन भी दोपहर बाद तीन बजे तक धन नहीं मिला. शाखा प्रबंधक से जब लोग इस संबंध में पूछे, तो वह लगभग सभी लोगों, यहां तक की महिलाओं के सांथ भी बेतुकी बातें करते जा रहे थे. यहां तक कि कौन कहता है, यहां पैसा जमा करो. हम किसी को निमंत्रण देते हैं क्‍या? भला इस बात पर किसकों गुस्‍सा नहीं आयेगा. इस हंगामें के बीच महिलाएं भी थी, पुरुष और युवक, युवतियां भी.

बलिया लाइव ने जब वहां मौजूद खाताधारियों से बात की तो सिताबदियारा की हीरामती, चिंता देवी, तेतरी देवी सहित दर्जनों महिलाओं ने सर्वजनिक तौर पर यह बताया कि इस बैंक के सभी कर्मचारियों का व्‍यवहार इतना खराब है कि वह किसी से भी सीधी मुंह बात तक नहीं करते. महिलाओं के सांथ भी उनका रूख कभी नरम नहीं होता. वहीं मौजूद सिताबदियारा की ही सुशीला देवी ने कहा कि मेरे घर 28 फरवरी को शादी है और हम चार दिनों से बैंक के चक्‍कर काट रहे हैं.

क्‍या कहते हैं खाताधारी

वहीं राधेश्‍याम सिंह,विश्‍वंभर साह, तेजन राय, गजेंद्र सिंह, बैजनाथ सिंह आदि सहित दर्जनों ने शाखा प्रबंधक और अन्‍य बैंक कर्मियों पर यह आरोप लगाया कि कोई भी मैनेजर सहित कोई भी कर्मचारी यहां काम ही नहीं करना चाहता. ऊपर के अधिकारी भी इस बात से अवगत हैं किंतु उनकी ओर से भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती. इस बैंक के कर्मचारियों का अब क्‍या इलाज है, समझ नहीं आता.

बताया कि स्‍वयं मैनेजर कभी शाम चार बजे बैंक पहुंचते हैं, तो कभी 12 बजे. ऐसे में भला काम कैसे होगा, सहज अनुमान लगाया जा सकता है. सभी ने संयुक्‍त रूप से यह भी कहा कि जेपी के गांव के इतिहास में यह पहला अवसर है कि इस बैंक को इतने गैर जिम्‍मेदार कर्मचारी प्राप्‍त हुए हैं. इसलिए सिताबदियारा वासी यहां के कर्मचारियों को संयुक्‍त रूप से अभद्र व्‍यवहार और लापरवाही के मामले में नंबर वन की संज्ञा से नवाजते हैं.

हमारे बैंक दियरांचल में है. यहां काम करने में एक नहीं, कई तरह की समस्‍याएं पेश आती हैं. पहली समस्‍या तो यह कि यहां स्‍टाफ की कमी है. कुल मिलाकर यहां चार लोगों की तैनाती है. इसके अलावा हमेशा यहां लिंक भी फेल या स्‍लो रहता है. बैंक की हर दिन की लिमिट आठ लाख की है, जबकि डिमांड 12 लाख तक की हर दिन रहती है. ऐसे में सबकी मांग को पूरा करना असंभव हो जाता है. अभद्र व्‍यवहार का आरोप सही नहीं है. कुछ लोग आफिस में आकर खुद ही दबंगई की भाषा का प्रयोग करने लगते हैं. हमने सभी कर्मचारियों से कहा कि वह ग्राहकों के सांथ विनम्रता से पेश आएं – पीके वर्मा, शाखा प्रबंधक, इलाहाबाद बैंक, सिताबदियारा

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