दलबदलुओं को तवज्जो दिए जाने से भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में आक्रोश

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

इलाहाबाद से आलोक श्रीवास्तव

दूसरे दलों से आए नेताओं को विधानसभा चुनाव में उतारने से पिछले पांच साल से चुनाव की तैयारी में जुटे भाजपा कार्यकर्ताओं को करारा झटका लगा है.  वे इस मामले में अपना विरोध भी जता चुके हैं. यहां तक कह डाला है कि यदि उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरेंगे. फिलहाल भाजपा नेतृत्व ने जो फैसला ले लिया है उसमें बदलाव तो सम्भव नहीं है, अब देखना यह है कि भाजपा नेतृत्व विरोधियों से कैसे निपटता है.

इसे भी पढ़ें – इलाहाबाद शहर पश्चिम : दो युवतियों में होगी टक्कर  

मामला सिर्फ इलाहाबाद तक सीमीत नहीं है. कांग्रेस से आई रीता बहुगुणा जोशी को लखनऊ कैंट से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. वह वहां सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव का मुकाबला करेंगी. हालांकि 2012 का चुनाव रीता बहुगुणा ने वहीं से जीता था. इसके अलावा ब्रजेश पाठक व नंद गोपाल नंदी जैसे दूसरे दलों से आए लोगों पर भी भाजपा ने दाव लगाया है, जिसका मुखर विरोध शुरू हो गया है.

इसे भी पढ़ें – इलाहाबाद, कौशाम्बी से भाजपा प्रत्याशी घोषित, सपा ने भी उम्मीदवार उतारे

सबसे ज्यादा विरोध इलाहाबाद शहर दक्षिणी से नंद गोपाल गुप्ता नंदी का हो रहा है. 2007 में वे इसी क्षेत्र से बसपा से विधायक बने. बसपा सरकार में मंत्री भी रहे. 2012 में बसपा सत्ता से बेदखल हो गई और दल विरोधी काम के कारण मायावती ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया.  इसके बाद उन्होंने कई दलों के चक्कर काटे और अंततः कांग्रेस पार्टी में उन्हें जगह मिल गई. लेकिन कांग्रेस के दिग्गज स्थानीय नेताओं को नंदी रास नहीं आए. उन्हें कोई नेता महत्व नहीं देता था. नंदी को और ठौर की तलाश थी और उन्हें भाजपा में जगह ही नहीं, बल्कि शहर दक्षिणी से भाजपा ने उम्मीदवार भी बना दिया. भाजपा आलाकमान का तर्क है कि यह क्षेत्र  व्यापारियों का है और नंदी का व्यापारियों में अच्छी पकड़ है. स्थानीय कार्यकर्ताओं में इस कदम से नाराजगी है.

उधर शहर उत्तरी से भाजपा ने हर्षवर्धन बाजपेयी को टिकट दिया है. हर्षवर्धन ने 2012 का चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था और कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह से हार गए थे.  वे दूसरे स्थान पर थे, भाजपा से उदयभान करवरिया को तीसरा और सपा के शशांक शेखर त्रिपाठी को चौथा स्थान मिला था. अब भाजपा ने हर्षवर्धन को टिकट दिया है, तर्क है यदि ठीक से प्रचार किया गया तो दूसरे नम्बर पर रहे उम्मीदवार की जीत की सम्भावना प्रबल होती है. हर्षवर्धन कांग्रेस की दिग्गज नेता तथा कई राज्यों की राज्यपाल रहीं राजेन्द्र कुमारी वाजपेयी के पोते हैं. अब देखना है कि भाजपा नेतृत्व विरोधियों से कैसे निपटता है.

फूलपुर से भाजपा ने प्रवीण पटेल को टिकट दिया है. पटेल भी बसपा से आए हैं. 2012 का चुनाव सपा से हार गए थे. बारा से डॉ. अजय भारती को मैदान में उतारा है. भारती इस क्षेत्र से सपा से विधायक रहे हैं. शहर पश्चिमी से सिद्धार्थ नाथ सिंह का ताल्लुक कांग्रेस घराने से है. फाफामऊ से विक्रमजीत मौर्य मैदान में हैं. आपने सपा छोड़ी, बसपा में गए और अब भाजपा से ताल ठोंक रहे हैं. भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में दलबदलुओं को महत्व देने से नाराजगी है. कहना है कि उनके मेहनत का परिणाम यदि उन्हें नहीं मिलना है तो दलबदलुओं खातिर क्यों मेहनत करें.