मध्यद्देशीय कांदू वैश्य की स्वाभिमान चिंतन, आंदोलन की तैयारी

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

वाराणसी। लोकसभा के बाद विधान सभा चुनाव में भी उपेक्षा से मध्यद्देशीय वैश्य समाज में राजनीतिक दलों के प्रति गुस्सा है. समाज के लोग अब इस बात पर मंथन कर रहें है कि विधानसभा चुनाव में उनका मत किसको पड़े. अखिल भारतीय मध्यद्देशीय वैश्य सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सीपी गुप्ता ने कहा की अब मध्यद्देशीय वैश्य ही नहीं, पूरा वैश्य समुदाय अपनी ताकत को पहचाने और एकजुट होकर अपने अधिकारों को ले. क्योंकी विधानसभा चुनाव में लगभग सभी दलों ने उपेक्षा की है. वैश्य समुदाय की आबादी के अनुपात में टिकट नहीं दिया गया.

डॉ. गुप्ता ने आज यहां कहा कि राष्ट्र के निर्माण में वैश्य समुदाय का महत्वपूर्णं योगदान रहा है, लेकिन जब सदन में प्रतिनिधित्व देने की बात आती है. दलों के मुखिया समीकरण की बात सामने रख कर टिकट काट देते हैं. सच यह है कि मध्यद्देशीय वैश्य के साथ-साथ सम्पूर्ण वैश्य समाज दलों के दलदल में फंसकर रह गया है. यह वही वैश्य समाज है, जो दलों को चंदा भी देता है और वोट भी. बदले में अपहरण से लेकर फिरौती तक का दंश झेलता है. उन्होंने कहा कि उत्तर-प्रदेश में वैश्यों की बड़ी आबादी है.

उन्होने कहा कि उत्तर-प्रदेश के 20 से अधिक जिलों में मध्यद्देशीय वैश्य समाज की बड़ी आबादी है. लगभग दो दर्जन से अधिक सीटों पर समाज का प्रभाव है. 12 से अधिक विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां 20 से 40 हजार समाज के मतदाता है. बावजूद इसके जब टिकट देने की बारी आती है तो समाज के लोगों को नजर अंदाज कर दिया जाता है. डॉ. गुप्ता ने कहा कि हम राजनीती में सौदेबाजी की बात नहीं कर रहे हैं. हम समाज के सम्मान की बात कर रहे है. समाज के लोगों ने अब तक राष्ट्र के निर्माण में देते रहे है. आगे भी देंगे.

उन्होने बताया की संगठन का गठन 1905 में हुआ था. नेपाल समेत उत्तर-प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र  में समाज के लोगों की संख्या काफी अधिक है. गुजरात, कर्णाटक, उड़ीसा, हरियाणा, नई दिल्ली, मणिपुर, मेघालय, नागालैण्ड, में समाज के लोग हैं और सभा से जुड़े है. उत्तर-प्रदेश में गोखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, सिध्दार्थनगर,बस्ती, संतकबीर नगर, देवरिया, बलिया, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, बनारस, इलाहाबाद, अम्बेडकर नगर, फैजाबाद, सुल्तानपुर, बहराईच, लखनऊ, कानपुर में समाज की काफी संख्या है. इन जनपदों के कई सीटों पर हमारा समाज निर्णायक साबित होता है.

राष्ट्रीय सलाहकार बसंत गुप्ता ने बताया कि संगठन से 17 से अधिक उपजातियां भी जुड़ी हुई है. समाज के कई नगर-पलिका और नगर-पंचायत अध्यक्ष मौजुदा समय में है. बावजूद इसके राजनीतिक दल समाज के योग्य उम्मीदवारों को नजर अंदाज कर रहे हैं. समाज के नौजवान अब यह सवाल कर रहे है कि हम कब तक केवल वोट देगें. राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गुप्ता ने कहा कि इस विधान सभा चुनाव में समाज का मतदाता अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए वोट करेगा. सभ दलों की सीटों की घोषणा हो जाने के बाद गांव स्तर पर बैठक कर इस पर मंथन किया जायेगा. जल्द ही मध्यद्देशीय स्वाभिमान आंदोलन कि शुरुआत की जाएगी.