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बलिया। ऐतिहासिक ददरी मेला के भारतेंदु कला मंच पर बलिया-पौराणिक काल से 1947 तक, सह ददरी मेला विशेषांक का विमोचन जिलाधिकारी गोविन्द राजू एनएस ने विशिष्ट अतिथि सपा जिलाध्यक्ष संग्राम सिंह यादव, अपर जिलाधिकारी मनोज कुमार सिंघल, नगर मजिस्ट्रेट आरजी सिंह, अध्यक्ष प्रतिनिधि लक्ष्मण गुप्ता, शायर परवेज रोशन, अधिशासी अधिकारी संतोष कुमार मिश्र, पुस्तक के संपादक मधुसूदन सिंह की उपस्थिति में किया.
इस पल के साक्षी के रूप में भारतेंदु कला मंच पर पधारे देश विदेश में अपनी कविताओं से शोहरत हासिल करने वाले दर्जन भर कवियों में राजेंद्र राजन, सुरेंद्र यादवेंद्र, शशिकांत यादव, सर्वेश अस्थाना, भूषण त्यागी, मनवीर मधू, अनिल चौबे, महाकवि घनश्याम उर्फ़ त्रिफला (दिव्यांग), बादशाह प्रेमी, डॉ रूचि चतुर्वेदी, फजीहत गहमरी, गौरी मिश्रा मौजूद रहे. इस पुस्तक में पहली बार मधुसूदन सिंह द्वारा बलिया के इतिहास को पौराणिक काल से 1947 तक को क्रमवद्ध तरीके से रखकर पुस्तक की शक्ल में प्रस्तुत किया गया है.
इस पुस्तक के द्वारा बलिया के इतिहास को पुराणों, धार्मिक ग्रंथों के आधार पर पांच हज़ार साल से पुराना साबित करने का प्रयास किया गया है. साथ ही 1202 से मिले साक्ष्यों के आधार पर 1947 तक के भौगोलिक और राजनीति घटनाएक्रम को साक्ष्यों के आधार पर दर्शाने का प्रयास किया गया है. साथ ही ददरी विशेषांक के माध्यम से बलिया के विभिन्न रंगों, सभ्यताओं, तेवर को बलिया के साहित्यिक हस्ताक्षरों के आर्टिकल्स के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है.